उत्तराखंड में कर्ज में डूबे किसानों के लिए सरकार का यह फैसला खुशखबरी लेकर आया है। इससे किसानों को बड़ा फायदा होगा।
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प्रदेश में कर्ज में डूबे किसानों को अब सहकारी बैंक नोटिस नहीं भेजेंगे। सरकार ने सहकारी बैंकों के नोटिस भेजने पर रोक लगा दी है। साथ ही मृत किसानों के परिवार पर चल रहे कर्ज के बोझ को खत्म करने के लिए वन टाइम सेटलमेंट अभियान भी शुरू होने जा रहा है।
ऐसे किसान परिवारों से बैंक ब्याज नहीं वसूलेंगे। उनसे केवल मूलधन ही आसान किश्तों में लिया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर शनिवार को हरिद्वार बाईपास स्थित एक वेडिंग प्वाइंट में आयोजित ऋण मेले में पहुंचे सहकारिता राज्यमंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि सभी सहकारी बैंकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रदेश के कर्ज लेने वाले किसानों के साथ अच्छा व्यवहार करें।
उन्होंने कहा कि किसी भी कर्ज में डूबे किसान का भुगतान अगर अटक भी जाए तो उसे कोई भी सहकारी बैंक नोटिस नहीं भेजेगा। इसके अलावा प्रदेश में तमाम किसान ऐसे भी हैं, जिन्होंने सहकारी बैंकों से कर्ज लिया हुआ था और उनकी मौत हो गई है।
सहकारी बैंक से सस्ती ब्याज दर पर लोन
ऐसे किसानों के परिवारों पर कर्ज का ब्याज सरकार ने माफ करने का फैसला लिया है। परिवार से मूलधन वापस लेने को भी आसान किश्तों का विकल्प दिया जाएगा। इसके लिए सरकार प्रदेशभर में वन टाइम सेटलमेंट अभियान शुरू करने जा रही है। प्रदेशभर में ऐसे किसानों को चिह्नित किया जा रहा है, जिनकी कर्ज लेने के बाद मौत हो गई है।
250 से ज्यादा सहकारी बैंक
प्रदेश में इस वक्त 250 से ज्यादा राज्य सहकारी बैंक, जिला सहकारी बैंक और उनकी शाखाएं हैं। किसानों को सबसे ज्यादा कर्ज सहकारी बैंकों से ही जारी हुआ है, जो प्रदेश में बंटे हुए कृषि ऋण का करीब 72 प्रतिशत है। सहकारी बैंकों में पांच लाख से ज्यादा किसानों के बैंक खाते हैं।
सहकारी बैंक से सस्ती ब्याज दर पर लोन
किसानों के लिए प्रदेशभर के सहकारी बैंकों में बेहद सस्ती ब्याज दर पर ऋण दिया जाता है। सात से 30 दिन तक 4.25 प्रतिशत, 31 से 90 दिन तक 4.50 प्रतिशत, 91 से 180 दिन तक 5.50 प्रतिशत, 181 दिन से एक वर्ष से कम तक 6.30 प्रतिशत, एक से तीन वर्ष से कम तक 6.80 प्रतिशत, तीन वर्ष और इससे अधिक दस वर्ष तक लोन लेने पर 6.25 प्रतिशत ब्याज दर है। ब्याज दरों में फरवरी में सरकार ने बढ़ोतरी की है।
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