बता दें कि सीएम पद के लिए रुपाणी के अलावा नितिन पटेल, मनसुख मंडविया और पुरुषोत्तम रुपाला के नामों की चर्चा थी। इससे पहले उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और अन्य मंत्रियों के साथ रुपाणी ने गांधीनगर में राज्यपाल से मिलकर मंत्रिमंडल का इस्तीफा सौंप दिया था।
हालांकि नई सरकार के गठन तक वह कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे। बता दें कि हाल में हुए 182 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने 99, कांग्रेस ने 77 और छह सीटें अन्य ने जीतीं हैं।
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक नड्डा इस पद की दौर में बेहद मजबूत स्थिति में थे। मगर धूमल ने उनकी राह रोक दी। बताते हैं कि धूमल ने नेतृत्व के सामने तर्क दिया कि नड्डा को सीएम बनाने की स्थिति में उपचुनाव कराना होगा। ऐसे में उन्हें भी उपचुनाव लड़ाया जा सकता है, क्योंकि नेतृत्व पहले ही उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर चुका है।
इसके अलावा धूमल खेमा चुनाव में साजिश का आरोप लगा रहा है। इनका कहना है कि आखिर क्या कारण है कि पार्टी के पक्ष में लहर के बावजूद धूमल, उनके समधी समेत धूमल के कट्टर समर्थक पांच नेताओं को हार का सामना करना पड़ा।
पार्टी सूत्रों ने यह भी बताया कि वन टू वन मुलाकात में सात बार के विधायक मोहिंदर सिंह, राजीव बिंदल, सुरेश भारद्वाज और कृष्णा कपूर के नामों पर भी मन टटोला जाएगा, मगर जयराम का मुख्यमंत्री बनना करीब करीब तय है। इस आशय का संदेश तब भी गया जब जयराम ने बुधवार को धूमल से मुलाकात की।
दरअसल आलाकमान नहीं चाहता कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इस मामले को ले कर विवाद की स्थिति बनी रहे। यही कारण है कि अंतत: जीते गए विधायकों में से ही किसी को सीएम बनाने पर सहमति बनी। चूंकि हिमाचल प्रदेश में ठाकुर बिरादरी की आबादी 40 फीसदी से ज्यादा है, इसलिए इसी बिरादरी के जयराम का दावा मजबूत है।