23 दिसंबर 2004 का दिन भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक ऐसी तारीख बन चुकी है, जिसे कभी भूलाया नहीं जा सकता है। झारखंड के रांची शहर का एक लड़का लंबे-लंबे बालों के साथ तेज चाल के साथ बांग्लादेश के खिलाफ ढाका में खेले गए वन-डे में बैटिंग करने क्रीज पर आता है और बिना खाता खोले रन आउट होकर बिना खाता खोले ही उतने तेज कदमों से पवेलियन लौट जाता है, जितनी तेजी से आया था। उस वक्त किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक दिन यह दुनिया का सबसे बेहतरीन फिनिशर और टीम इंडिया को दो विश्व कप दिलाने वाला कप्तान बनेगा।  
		
		
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