
आतंकवाद, हवाला, अवैध शराब कारोबार, बाहुबल से ठेके हथियाने, फिरौती के लिए अपहरण, अवैध खनन, वन उपज के गैरकानूनी ढंग से दोहन, वन्यजीवों की तस्करी, नकली दवाओं के निर्माण या बिक्री, सरकारी व गैरसरकारी संपत्ति को कब्जाने और रंगदारी या गुंडा टैक्स वसूलने सरीखे संगठित अपराधों में यूपीकोका लागू किया जाएगा। इसमें 28 प्रावधान ऐसे होंगे, जो गैंगस्टर एक्ट में नहीं हैं।
मनमानी नहीं होगी
– अभियोग कमिश्नर और रेंज के डीआईजी की दो सदस्यीय समिति के अनुमोदन के बाद ही पंजीकृत होगा।
– अभियोग की विवेचना के बाद आरोप पत्र जारी जारी करने से पहले रेंज के आईजी की अनुमति अनिवार्य।
सजा-ए-मौत तक संभव
कम से कम सात साल कैद व 15 लाख रुपये का जुर्माना। अधिकतम सजा-ए-मौत व 25 लाख का जुर्माना।
कार्रवाई के खिलाफ अपीलीय प्राधिकरण में जा सकेंगे
यूपी कोका के तहत उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में अपीलीय प्राधिकरण का गठन होगा। अगर किसी को गलत फंसाया गया तो वह कार्रवाई के खिलाफ प्राधिकरण में अपील कर सकेगा। पर, आरोपी को खुद अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी।
गवाहों की सुरक्षा का भी बंदोबस्त यूपीकोका में किया गया है। आरोपी यह नहीं जान सकेगा कि उसके खिलाफ किसने गवाही दी है। न सिर्फ सरकार गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराएगी बल्कि गवाही बंद कमरे में होगी और अदालत भी गवाह के नाम को उजागर नहीं करेगी। इतना ही नहीं आरोपी की शिनाख्त परेड आमने-सामने कराने के बजाए फोटो, वीडियो या फिर ऐसे पारदर्शी शीशों से कराई जाएगी जिसमें से अपराधी गवाह को न देख व पहचान सके। अभियुक्त को यह जानने का अधिकार नहीं होगा कि उसके खिलाफ गवाही किसने दी।
अपराधियों की जब्त हो सकेगी संपत्ति
इस अधिनियम के लागू होने पर राज्य सरकार संगठित अपराधों से अर्जित की गई संपत्ति को विवेचना के दौरान जिलाधिकारी तीन माह के लिए अटैच कर सकते हैं। तीन माह के बाद भी अगर अभियुक्त उक्त संपत्ति के अर्जित करने के स्रोत को नहीं बता पाया तो न्यायालय के जरिए इसे जब्त किया जाएगा। आरोप साबित होने पर संगठित अपराधियों की संपत्ति सरकार जब्त कर सकेगी। अपराधियों को शरण देने वालों को भी दोषी माना जाएगा और उसके खिलाफ भी कम से कम तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान होगा।
मौजूदा मामलों में अदालत 60 दिन के बाद पुलिस अभिरक्षा नहीं देती लेकिन यूपीकोका के तहत अदालत 60 दिन के बाद भी अभियुक्त को पुलिस रिमांड पर सौंप सकती है। ऐसे अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए अलग अलग समय सीमा निर्धारित की गई है जो 90 दिन से लेकर छह माह तक है।
अभियुक्तों से मिलने के लिए लेनी होगी डीएम की इजाजत
यूपीकोका के अपराधियों से जेल में मिलने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी। अभी तक जेल अधीक्षक की अनुमति से जेल में बंद कैदियों से मुलाकात होती है। अधिकतम दो बार ही कोई मुलाकात का मौका दिया जा सकता है। इतना ही नहीं इस कानून के तहत बंद अपराधियों को इलाज के लिए 36 घंटे से अधिक अस्पताल में रखने के लिए जिलाधिकारी द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड मंजूरी देगा। आपराधिक कृत्यों से अर्जित धन से बनाई गई संपत्ति स्थानांतरित नहीं की जा सकेगी। इस धन को धार्मिक स्थलों और ट्रस्ट में भी स्थानांतरित नहीं किया जा सकेगा।
किसके ऊपर लगेगा यूपीकोका
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार का कहना है कि इस कानून का दुरुपयोग न हो इसका भी खास ख्याल रखा गया है। यूपीकोका उन्हीं पर लगाया जाएगा जिसका पहले से आपराधिक इतिहास रहा हो। पिछले पांच वर्षों में एक से अधिक बार संगठित अपराध के मामले में चार्जशीट दाखिल की गई हो और कोर्ट ने दोषी पाया हो। उन्होंने बताया कि इसका दुरुपयोग न हो इसके लिए कमिश्नर और आईजी या डीआईजी स्तर के अधिकारी की समिति के अनुमोदन का प्रावधान है। इन अधिकारियों से ऊपर राज्य की समिति होगी जो ऐसे मामलों में निगरानी रखेगी।
-न्यूनतम सजा सात साल कैद, 15 लाख जुर्माना, अधिकतम सजा मृत्युदंड
-अपराधियों के मददगारों को भी दोषी माना जाएगा
-कमिश्नर और आईजी/डीआईजी की कमेटी करेगी यूपीकोका पर फैसला
-जोन स्तर पर एडीजी/आईजी की अनुमति के बाद दाखिल हो सकेगी चार्जशीट
-राज्य स्तर पर प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में बनेगी कमेटी
-आरोपी को साबित करना होगा कि वह बेगुनाह है
-मीडिया ट्रायल पर रोक लगा सकेगी स्पेशल कोर्ट
-शिनाख्त परेड के लिए फोटो, वीडियो और वन वे शिनाख्त सिस्टम का भी लिया जा सकेगा सहारा, होगा मान्य
-गवाह का नाम नहीं किया जाएगा उजागर, कोर्ट भी नहीं करेगी खुलासा
-गवाहों को सुरक्षा उपलब्ध कराने का प्रावधान
-अपराधी को नहीं मिलेगी सरकारी सुरक्षा,-आय के स्रोतों पर लगेगी रोक
-वापस ले लिया जाएगा ठेका या सरकार की ओर से दिया गया पुरस्कार
 -चार्जशीट दाखिल करने के लिए 6 माह तक की मिलेगी मोहलत
-जिलाधिकारी की अनुमति से ही जेल में मिल सकेंगे मुलाकाती
-36 घंटे से अधिक अस्पताल में रहने के लिए जिलाधिकारी द्वारा गठित डॉक्टरों का बोर्ड करेगा फैसला
-एसपी को होगा डिकॉय ऑपरेशन का अधिकार
-जिलाधिकारी को होगा तीन माह के लिए संपत्ति अटैच करने का अधिकार
-अपराधियों की सहायता करने वाले अधिकारियों पर भी हो सकेगी कार्रवाई
-यूपीकोका लगाने से पहले आरोपी का देखा जाएगा इतिहास, संगठित अपराध से जुड़े कम से कम दो मामलों में चार्जशीट होनी जरूरी 
प्रदेश में अपराध करने वाले गिरोहों पर शिकंजा कसने और उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय ‘संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण’ की स्थापना की जाएगी। जिलास्तर पर डीएम की अध्यक्षता में जिला संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण का गठन भी किया जाएगा।
अपराधियों की संपत्ति हो सकेगी जब्त
अधिनियम के लागू होने पर राज्य सरकार संगठित अपराधों से अर्जित की गई संपत्ति को विवेचना के दौरान संबंधित न्यायालय की अनुमति लेकर अपने अधीन ले सकेगी। न्यायालय से दंडित होने पर संगठित अपराधियों की संपत्ति राज्य के पक्ष में जब्त किए जाने का प्रावधान भी है।
संगठित अपराध करने वाला नहीं पा सकेगा सुरक्षा
यूपीकोका के तहत संगठित अपराध करने वाला सरकारी सुरक्षा नहीं पा सकेगा। बाहुबली व संगठित अपराध में लिप्त लोगों के खिलाफ गवाही देने वालों को सुरक्षा देने और जरूरत के अनुसार उनकी गवाही बंद कमरे में लेने का प्रावधान भी किया गया है।
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