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राष्ट्रपति का चुनाव 17 जुलाई को होना है, लेकिन अभी तक सत्ता पक्ष या विपक्ष ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। डिनर डिप्लोमेसी चल रही है। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह व वेंकैया नायडू विपक्षी नेताओं का मन टटोल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यदि उम्मीदवार बेहतर छवि का होगा तो एनडीए का समर्थन किया जाएगा। उनका आशय था कि भाजपा का उम्मीदवार स्वीकार्य होना चाहिए। मुलायम के इस रुख से उनकी पार्टी इत्तेफाक नहीं करती।
अखिलेश यादव प्रमुख विपक्षी नेताओं के संपर्क में हैं। वह सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में शामिल हो चुके हैं। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की संयुक्त रणनीति का जल्द एलान हो सकता है।
इंतजार सिर्फ भाजपा (एनडीए) के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी का है। इससे पहले भी मुलायम कई बार कांग्रेस के खिलाफ स्टैंड लेते रहे हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव में सपा के कांग्रेस से गठबंधन पर विरोध जताया था। कांग्रेस के प्रत्याशियों को हराने तक की अपील कर दी थी।
माना जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले प्रधानमंत्री की विपक्ष के नेताओं से मुलाकात होगी। इसे राष्ट्रपति चुनाव के लिए उन्हें साधने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। प्रदेश में सपा और बसपा मुख्य विपक्षी दल हैं।
इन दोनों दलों के अध्यक्ष अखिलेश यादव व मायावती, सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल हो चुके हैं। भाजपा की कोशिश है कि चुनाव के लिए आम सहमति बन जाए या सपा-बसपा जैसे दल कांग्रेस के साथ खड़े न हों।
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