देश की सीमा पर शत्रुतापूर्ण रवैया अपना रहा चीन मानसून के दौरान ऊंचाई पर स्थित झीलों और नदियों की बाढ़ को अस्त्र के रूप में इस्तेमाल कर सकता है।जांच में हुआ बड़ा खुलासा: KGMU प्रशासन की गलती से ट्रामा में लगी थी आग…
चीन से निकल कर नेपाल और भारत की सरहद के अंदर आने वाली इन नदियों से अचानक आने वाली बाढ़ से बहुत नुकसान हो सकता है।
चीन के ट्रांसबाउंड्री निगरानी नीति का पालन न करने से केंद्रीय जल आयोग के फ्लड मैनेजमेंट आर्गेनाइजेशन (एफ एमओ) को चीन से बाढ़ और झीलों के संबंध में पूरी जानकारी नहीं मिल पा रही है।
नदियों के किनारे वॉटर टेस्टिंग सेंटर स्थापित किए जाने की जरूरत
विज्ञानियों ने नदियों के किनारे वॉटर टेस्टिंग सेंटर स्थापित किए जाने की जरूरत बताई है। साथ ही निगरानी सिस्टम मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार को सुझाव दिया है।
इनके आसपास बनी झीलें अचानक टूट जाती हैं, जिससे निचले इलाकों में खौफ नाक बाढ़ आ जाती है। बांध और झील अचानक टूटते हैं तो लोगों को संभलने का मौका नहीं मिल पाता।
इसके तहत झील, बांध टूटने, ऊंचाई वाले इलाकों में बादल फ टने, अतिवृष्टि से बाढ़ आने की सूचना शेयर करने का प्रावधान है, लेकिन चीन ने कभी भी इसका पालन नहीं किया।
विज्ञानियों ने जब ब्रह्मपुत्र के पानी की जांच की तो पता चला कि यह पानी तो किसी पुरानी झील का है, जिसके बारे में चीन ने भारत को कभी कोई जानकारी नहीं दी थी।
केंद्रीय जल आयोग के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि चीन से इस संबंध में जानकारी नहीं मिल पाती।
आयोग के फ्लड मैनेजमेंट आर्गेनाइजेशन के निदेशक वीडी राय का कहना है कि सिस्टम धीरे-धीरे विकसित किया जा रहा है। चीन से इस संबंध में समझौता भी हो रखा है। वैसे नदियों से आने वाले पानी की बराबर जांच कराई जाती है।
इस संबंध में पूर्व में भी चिंता जताई जा चुकी है। मौजूदा स्थिति में चीन दादागीरी वाला रवैया अपना रहा है। चीन के जलस्रोतों को हथियार के रूप में प्रयोग करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। मानसून में तेजी आ रही है। ऐसे में फ्लैश फ्लड को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। नदियों के किनारे लैब स्थापित करके इनफॉर्मेशन सिस्टम मजबूत किया जाना चाहिए।