सरकारी महकमे की आदत इस कदर बिगड़ी हुई है कि वह हाईकोर्ट के आदेशों को भी गंभीरता से नहीं लेता है। ऐसा ही कुछ किन्नर गंगा कुमारी के केस में देखने को मिला है। यदि संबंधित अधिकारी गंगा कुमारी की सुनवाई या फिर अदालत के आदेश की पालना समय से कर लेते, तो वह एक इतिहास तक रच देती। इस केस में हाईकोर्ट ने मंगलवार को गृह सचिव, डीजीपी व जालौर के पुलिस अधीक्षक को कोर्ट की अवमानना के लिए नोटिस जारी किए हैं। गंगा कुमारी के पक्ष में हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद भी सरकारी महकमे के कान में जूं तक नहीं रेंग रही।
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दरअसल राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल चुनी गई गंगा कुमारी बीते दो वर्षों से पुलिस महकमे में नियुक्ति पत्र की प्रतीक्षा में है। यह हाल तब है जब जोधपुर हाईकोर्ट बीते वर्ष नवंबर में राजस्थान के पुलिस महकमे को आदेश दे चुका है कि गंगा कुमारी को नियुक्ति पत्र जारी किया जाए। मंगलवार को याचिकाकर्ता गंगा कुमारी के मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किए हैं।
इन अवमानना नोटिसों को सबंधित अधिकारियों तक किन्नर गंगा कुमारी स्वयं पहुंचाएगी। ऐसा निर्णय गंगा कुमारी ने समय बचाने के लिए लिया है। यह प्रवाधान है कि नोटिस याचिकाकर्ता भी पहुंचा सकता है। इस मामले में अगली सुनवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह में होनी है।
ट्रांसजेंडर गंगा कुमारी के मामले में जोधपुर हाईकोर्ट ने बीते वर्ष नवंबर में पुलिस महकमे को उसे ज्वाइनिंग लेटर देने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट ने गंगा कुमारी को 31 दिसंबर 2017 तक लैटर देने के लिए कहा था। यदि पुलिस महकमा ऐसा नहीं करता है तो एक जनवरी 2018 से गंगा कुमारी कांस्टेबल को मिलने वाली सैलरी व अन्य सुविधाओं की लाभार्थी होंगी। लेकिन अभी तक गंगा कुमारी को पुलिस महकमे से कोई लैटर नहीं मिला है।
वर्ष 2013 में राजस्थान पुलिस ने कांस्टेबल भर्ती के लिए आवदेन मांगें थे। जिसमें जालौर की रहने वाली ट्रांसजेंडर गंगा कुमारी ने भी आवेदन किया था। किन्नर गंगा कुमारी सहित 208 लोग कांस्टेबल के लिए चयनित हुए। इनमें 207 अभ्यर्थियों को पुलिस विभाग नौकरी दे चुका है। लेकिन गंगा कुमारी दो वर्ष से अधिक समय से ज्वाइनिंग लैटर के लिए पुलिस के उच्च अधिकारियों के दरवाजे खटखटा रही है।
ट्रांसजेंडर गंगा कुमारी ने दिसंबर 2016 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद करीब एक वर्ष चली सुनवाई के बाद 13 नवंबर 2017 को हाईकोर्ट ने गंगा कुमारी की प्रार्थना को सही मानते हुए पुलिस को ज्वाइनिंग लैटर देने के निर्देश दिए थे। यदि गंगा कुमारी को वर्ष 2015 में ही नियुक्ति मिल जाती तो वह पुलिस महकमे में नौकरी पाने वाली देश की पहली ट्रांसजेंडर होती।