केंद्र सरकार देश में न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण करने के मौजूदा फार्मूले में बदलाव करने पर विचार कर रही है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर श्रमिकों का दोगुना वेतन होने की संभावना है।
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सूत्रों के अनुसार केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण में बदलाव करते हुए श्रमिक की पत्नी के अलावा उसके माता- पिता और दो बच्चों को अलग-अलग इकाई के रुप में शामिल करने पर विचार कर सकता है। फिलहाल न्यूनतम मजदूरी के फार्मूला तीन इकाई श्रमिक, पत्नी और दो बच्चों पर आधारित है। दो बच्चों को एक इकाई माना जाता है, यानि कि श्रमिक को कम से कम इतनी मजदूरी मिलनी चाहिए जिसमें तीन व्यक्तियों का भरण पोषण हो सके।
प्रस्तावित फार्मूले के अनुसार इसमें माता-पिता को दो इकाई और दो बच्चों को दो अलग-अलग इकाईयों के तौर पर शामिल किया जा सकता है। इस तरह से न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण छह इकाईयों के आधार पर किया जाएगा।
न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के अनुसार न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण श्रमिक और उसकी पत्नी को दो अलग अलग इकाई और उसके दो बच्चों को एक इकाई मानते हुए किया जाता है। यह निर्धारण कृषि और गैर कृषि श्रमिकों के लिए होता है। यह अधिनियम 47 उद्योग क्षेत्रों के श्रमिकों पर लागू होता है जिसमें कृषि और गैर कृषि क्षेत्र शामिल हैं।
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सूत्रों ने बताया कि हाल में पुनर्गठित किए केंद्रीय न्यूनतम मजदूरी परामर्श बोर्ड की बैठक में की गयी इस सिफारिश पर एक समिति का गठन किया जा रहा है जो इससे संबंधित सभी पक्षों पर विचार करेगी। बोर्ड की बैठक लगभग सात वर्ष के अंतराल पर आयोजित की गयी थी। बोर्ड की पिछली बैठक 2010 में आयोजित की गयी थी।