लखनऊ ।। गड्डा मुक्त सड़कों का वादा कर योगी सरकार बड़े घोटाले में घिरती जा रही है। सत्ता में आते ही भाजपा सरकार ने सड़कों को 15 जून तक गड्ढा मुक्त कर ने का बड़ा दावा कर दिया था। इस योजना की कमान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के हाथ में थी। सूत्रों की माने तो इसमें बड़े पैमाने पर रकम तो खर्च हो गई, लेकिन सड़कें जस की तस हैं।
जब सड़कें बनी नहीं तो कागजों पर 800 करोड़ रुपए कहां चले गए। योजना में 800 करोड़ का बड़ा घोटाला सामने आ रहा है। लोग यह भी कह रहे हैं कि इसी बात को ले कर सीएम योगी और और केशव मौर्या में इन दिनों ज़बरदस्त तनाव चल रहा है। यही नहीं योगी नहीं चाहते की मौर्य अब डिप्टी सीएम पद पर बने रहें।
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आप को बता दें की योगी सरकार ने सत्ता में आते ही प्रदेश भर की सभी सड़कों को 15 जून तक गड्ढामुक्त करने आदेश दिया था। इसके बाद तीन बार यह तरीख आगे भी बढ़ी, विधानसभा सत्र में यह मुद्दा न उठे इसे देखते हुए आनन-फानन में बजट को खपाने के निर्देश दे दिए गए। बजट भी कागजों में खर्च हो गया, लेकिन अब जब गड्ढे ही गड्ढे दिखाई दे रहे हैं तो भाजपा नेताओं और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर विपक्ष भी सवाल खड़ा कर रहा है।
अब सरकार की कोशिश है कि 20 से 31 अगस्त तक विशेष अभियान चलाकर सड़कों की जांच की जाएगी। जांच के लिए मुख्यालय से 10 टीमों को भेजा जाएगा। दरअसल शिकायत मिली थी कि जिन सड़कों को गड्ढामुक्त किया गया है उनकी गुणवत्ता ख़राब होने की वजह से बारिश में बह गए, जबकि कई जगह कागजों पर ही सड़कों को गड्ढा मुक्त करने की भी शिकायत मिली है।
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15 जून को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि प्रदेश की 70 फ़ीसदी सड़कें गड्ढामुक्त हो चुकी हैं, लेकिन क्षेत्र के एमएलए और एमपी ने सड़कों के गड्ढामुक्त न होने की शिकायत की है। इसके बाद सरकार ने यह फैसला किया। अधिकारियों के मुताबिक, जिन सड़कों को गड्ढामुक्त किया गया है उनका पूरा ब्योरा विभाग की वेबसाइट पर है। इनमें रेंडम आधार पर अलग-अलग जिलों और क्षेत्रों में सड़कों का चयन कर जांच टीमों को भेजा जाएगा। घोटाला करने वाले बच नहीं पाएंगे।
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