ख्यात अभ‍िनेता राज कपूर के सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर ने भी अदाकारी में हाथ आजमाया था, लेकिन वे सफल नहीं हो सके. 25 अगस्त 1962 को जन्मे राजीव कपूर की लंबे समय तक अपने पिता से अनबन रही थी. जानिए क्या था पूरा किस्सा... राज कपूर की अपने बेटे राजीव से एक फिल्म की वजह से अनबन हो गई थी. दोनों के रिश्ते इतने खराब हुए कि फिर कभी नहीं सुधरे. ये फिल्म थी "राम तेरी गंगा मैली". इसी फिल्म से राजीव कपूर को राज ने लॉन्च किया था, लेकिन फिल्म में लोकप्रियता मिली एक्ट्रेस मंदाकिनी को. वे इस फिल्म से स्टार बन गई और राजीव कपूर वहीं के वहीं रह गए. राजीव अपनी इस असफलता के जिम्मेदार अपने पिता राज कपूर को मानते थे. इसी के चलते वे उनसे नाराज रहने लगे थे. राज कपूर ने उनसे वादा किया था कि वे अपने बेटे के करियर को स्थापित करने के लिए उन्हें लीड रोल में लेकर एक और फिल्म बनाएंगे, लेकिन ये फिल्म कभी नहीं बनी. इस तरह राजीव की अपने पिता से नाराजगी जीवन भर रही. खाना बना रहीं नरगिस पर फिदा हुए थे राज कपूर, करना चाहते थे शादी अपने पिता के बारे में ऋषि ने भी अपनी ऑटोबायोग्राफी में खुलकर लिखा है. उन्होंने लिखा, ''मेरे पिता राज कपूर 28 साल के थे और पहले ही हिंदी सिनेमा के शो-मैन का तमगा पा चुके थे. उस वक़्त वो प्यार में भी थे, दुर्भाग्यवश मेरी मां के अलावा किसी और के उनकी गर्लफ्रेंड उनकी कुछ हिट्स आग, बरसात और आवारा में उनकी हीरोइन भी थीं." इस किताब में उन्होंने ये भी लिखा कि नरगि‍स जी ने 1956 में फिल्म 'जागते रहो' पूरी होने के बाद आरके स्टूडियो में क़दम नहीं रखा था, लेकिन उनकी शादी की संगीत सेरेमनी में शामिल होने के लिए वो सुनील दत्त के साथ आई थीं. 24 साल बाद किसी कपूर इवेंट में शामिल होने को लेकर वो काफ़ी नर्वस थीं.

जब राजीव की पिता राज कपूर से हो गई अनबन, वजह थी एक एक्ट्रेस

ख्यात अभ‍िनेता राज कपूर के सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर ने भी अदाकारी में हाथ आजमाया था, लेकिन वे सफल नहीं हो सके. 25 अगस्त 1962 को जन्मे राजीव कपूर की लंबे समय तक अपने पिता से अनबन रही थी. जानिए क्या था पूरा किस्सा.ख्यात अभ‍िनेता राज कपूर के सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर ने भी अदाकारी में हाथ आजमाया था, लेकिन वे सफल नहीं हो सके. 25 अगस्त 1962 को जन्मे राजीव कपूर की लंबे समय तक अपने पिता से अनबन रही थी. जानिए क्या था पूरा किस्सा...  राज कपूर की अपने बेटे राजीव से एक फिल्म की वजह से अनबन हो गई थी. दोनों के रिश्ते इतने खराब हुए कि फिर कभी नहीं सुधरे. ये फिल्म थी "राम तेरी गंगा मैली". इसी फिल्म से राजीव कपूर को राज ने लॉन्च किया था, लेकिन फिल्म में लोकप्रियता मिली एक्ट्रेस मंदाकिनी को. वे इस फिल्म से स्टार बन गई और राजीव कपूर वहीं के वहीं रह गए.  राजीव अपनी इस असफलता के जिम्मेदार अपने पिता राज कपूर को मानते थे. इसी के चलते वे उनसे नाराज रहने लगे थे. राज कपूर ने उनसे वादा किया था कि वे अपने बेटे के करियर को स्थापित करने के लिए उन्हें लीड रोल में लेकर एक और फिल्म बनाएंगे, लेकिन ये फिल्म  कभी नहीं बनी. इस तरह राजीव की अपने पिता से नाराजगी जीवन भर रही.  खाना बना रहीं नरगिस पर फिदा हुए थे राज कपूर, करना चाहते थे शादी  अपने पिता के बारे में ऋषि ने भी अपनी ऑटोबायोग्राफी में खुलकर लिखा है. उन्होंने लिखा, ''मेरे पिता राज कपूर 28 साल के थे और पहले ही हिंदी सिनेमा के शो-मैन का तमगा पा चुके थे. उस वक़्त वो प्यार में भी थे, दुर्भाग्यवश मेरी मां के अलावा किसी और के उनकी गर्लफ्रेंड उनकी कुछ हिट्स आग, बरसात और आवारा में उनकी हीरोइन भी थीं."  इस किताब में उन्होंने ये भी लिखा कि नरगि‍स जी ने 1956 में फिल्म 'जागते रहो' पूरी होने के बाद आरके स्टूडियो में क़दम नहीं रखा था, लेकिन उनकी शादी की संगीत सेरेमनी में शामिल होने के लिए वो सुनील दत्त के साथ आई थीं. 24 साल बाद किसी कपूर इवेंट में शामिल होने को लेकर वो काफ़ी नर्वस थीं.

राज कपूर की अपने बेटे राजीव से एक फिल्म की वजह से अनबन हो गई थी. दोनों के रिश्ते इतने खराब हुए कि फिर कभी नहीं सुधरे. ये फिल्म थी “राम तेरी गंगा मैली”. इसी फिल्म से राजीव कपूर को राज ने लॉन्च किया था, लेकिन फिल्म में लोकप्रियता मिली एक्ट्रेस मंदाकिनी को. वे इस फिल्म से स्टार बन गई और राजीव कपूर वहीं के वहीं रह गए.

राजीव अपनी इस असफलता के जिम्मेदार अपने पिता राज कपूर को मानते थे. इसी के चलते वे उनसे नाराज रहने लगे थे. राज कपूर ने उनसे वादा किया था कि वे अपने बेटे के करियर को स्थापित करने के लिए उन्हें लीड रोल में लेकर एक और फिल्म बनाएंगे, लेकिन ये फिल्म  कभी नहीं बनी. इस तरह राजीव की अपने पिता से नाराजगी जीवन भर रही.

अपने पिता के बारे में ऋषि ने भी अपनी ऑटोबायोग्राफी में खुलकर लिखा है. उन्होंने लिखा, ”मेरे पिता राज कपूर 28 साल के थे और पहले ही हिंदी सिनेमा के शो-मैन का तमगा पा चुके थे. उस वक़्त वो प्यार में भी थे, दुर्भाग्यवश मेरी मां के अलावा किसी और के उनकी गर्लफ्रेंड उनकी कुछ हिट्स आग, बरसात और आवारा में उनकी हीरोइन भी थीं.”

इस किताब में उन्होंने ये भी लिखा कि नरगि‍स जी ने 1956 में फिल्म ‘जागते रहो’ पूरी होने के बाद आरके स्टूडियो में क़दम नहीं रखा था, लेकिन उनकी शादी की संगीत सेरेमनी में शामिल होने के लिए वो सुनील दत्त के साथ आई थीं. 24 साल बाद किसी कपूर इवेंट में शामिल होने को लेकर वो काफ़ी नर्वस थीं.

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