थोक महंगाई दर 6 महीने के टॉप पर, महंगे होते पेट्रोल ने बढ़ा दी आम आदमी की मुश्किले

थोक महंगाई दर 6 महीने के टॉप पर, महंगे होते पेट्रोल ने बढ़ा दी आम आदमी की मुश्किले

खुदरा महंगाई दर के 7 महीने के ऊंचे स्तर पर पहुंचने के बाद थोक महंगाई दर में भी भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है. अक्टूबर महीने में थोक महंगाई दर 6 महीने के टॉप पर पहुंच गई है. अक्टूबर में थोक महंगाई 3.59 फीसदी रही. सितंबर में यह आंकड़ा 2.6 फीसदी पर था. थोक महंगाई दर में बढ़ोतरी के लिए खाद्य और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ने को जिम्मेदार माना जा रहा है.थोक महंगाई दर 6 महीने के टॉप पर, महंगे होते पेट्रोल ने बढ़ा दी आम आदमी की मुश्किले Good News: अभी और कुछ वस्तुओं के जीएसटी रेट घट सकते हैं, वित्त मंत्री ने दिये संकेत!

वाण‍िज्य मंत्रालय की तरफ से जारी डाटा के मुताबिक फूड उत्पादों की दर बढ़कर 3.23 फीसदी पर पहुंच गई है. सितंबर में यह 1.99 फीसदी के स्तर पर थी. अक्टूबर महीने में वेजिटेबल इंडेक्स 19.9 फीसदी के स्तर पर पहुंचा है.

थोक महंगाई सूचकांक (डब्लूपीआई) के प्रमुख उत्पाद अक्टूबर महीने में 3.33 फीसदी पर पहुंचे. सितंबर महीने में ये 0.15 फीसदी की दर पर थे.  प्रमुख उत्पाद अथवा प्राइमरी आर्ट‍िकल्स पूरे डब्लूपीआई का पांचवां हिस्सा होते हैं. प्राइमरी आर्टिकल्‍स में खाने-पीने की चीजें होती हैं. थोक महंगाई में इनका वेटेज 22.62 फीसदी होता है. कमोडिटी इंडेक्स की बात करें, तो मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स इंडेक्स 0.26 फीसदी पर रहा. 

अक्टूबर महीने में महंगाई बढ़ने की सबसे बड़ी वजह खाने-पीने की चीजों का महंगा होना रहा. पिछले महीने फूड आर्ट‍िकल्स की महंगाई  बढ़कर 4.30 फीसदी हो गई. सितंबर में यह 2.04 फीसदी के स्तर पर थी.  

महंगा हुआ  प्याज 

प्याज की कीमत काफी ज्यादा बढ़ी है. प्याज की महंगाई में दोगुना बढ़ोतरी देखने को मिली है. यह बढ1कर 127.04 फीसदी हो गई. सितंबर महीने में प्याज की महंगाई 79.78 फीसदी पर रही. फलों की थोक महंगाई दर में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. फलों की थोक महंगाई दर 3.96 फीसदी हो गई है.

थोक महंगाई दर का अनुमान थोक महंगाई सूचकांक के जरिये लगाया जाता है. यह थोक में खरीद करने के वाले कारोबारियों को कीमतों में हो रहे उतार-चढ़ाव को दर्शाता है.

 इससे पहले मंत्रालय ने खुदरा महंगाई  दर के आंकड़े पेश किए थे. अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई दर भी सात महीने के टॉप  पर पहुंच गई है. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) अक्टूबर में 3.58 फीसदी पर पहुंच गया है. सितंबर में यह 3.28 फीसदी पर था.

इससे अगले महीने भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम हो गई है. अगले महीने आरबीआई मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक होनी है.  इसमें आरबीआई ब्याज दर घटाने पर फैसला लेने वाला है. बता दें कि इससे पहले हुई बैठक में आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं की थी.

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