दे गए जीत का फॉर्मूला, 2019 ही नहीं 2022 तक के चुनाव पर है अमित शाह की नजर...

दे गए जीत का फॉर्मूला, 2019 ही नहीं 2022 तक के चुनाव पर है अमित शाह की नजर…

तीन दिन के प्रवास में अमित शाह भाजपा सरकार और संगठन को काम करने का ब्लू प्रिंट ही नहीं दे गए, बल्कि इशारों से काम करने का संदेश भी दे गिए। जहां जैसी जरूरत हुई वहां पेंच भी कसे, लेकिन यह आश्वासन देने पर भी फिक्रमंद दिखे कि कार्यकर्ताओं-विधायकों के मान-सम्मान तथा साख की भी चिंता उन्हें हैं। दे गए जीत का फॉर्मूला, 2019 ही नहीं 2022 तक के चुनाव पर है अमित शाह की नजर...बड़ी खुशखबरी: अब IT सेक्टर में लखनऊ में आई पांच हजार नई नौकर‌ियां, अगस्त से र‌िक्रूटमेंट शुरू…

कोर कमेटी की बैठक में उन्होंने जो कुछ कहा उससे साफ हो गया कि उनकी नजर 2019 पर ही नहीं, बल्कि 2022 में प्रदेश विधानसभा के चुनाव की तैयारी पर भी है। जो इस एजेंडे पर काम करेगा वह पार्टी में आगे बढ़ेगा। संगठन और सरकार में सम्मानजनक भागीदारी पाएगा। जो इससे इतर चलेगा उसे कुछ नहीं मिलने वाला।

शाह के इस दौरे में एक सीएम आवास पर और दो सार्वजनिक कार्यक्रम हुए। बाकी कार्यक्रम इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच और भाजपा कार्यालय पर हुए। प्रत्येक बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ को भी उन्होंने साथ रखा। 

मंत्रियों के समूह की बैठक भी प्रदेश कार्यालय पर ही की। रात भी उन्होंने भाजपा मुख्यालय में गुजारी। इसके संदेश और निहितार्थ साफ हैं। शाह ने बता दिया कि सरकार में बैठे लोगों को संगठन को महत्व देकर चलना पड़ेगा। संगठन के सम्मान व साख की अनदेखी नहीं होनी चाहिए।

मंत्रियों के समूह में भी हिदायत

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में भले ही शाह ने मंत्रियों के न मिलने और सुनवाई न करने की शिकायतें सार्वजनिक स्थानों पर न करने की नसीहत दी हो। साथ ही अधिकारियों के दफ्तर में सुनवाई न करने की शिकायतों और इन पर मंत्रियों की चुप्पी पर कार्यकर्ताओं को दृष्टि बदलने जैसी बात कहते हुए नकारात्मक चर्चा से बचने को कहा हो। 

पर उसी रात उन्होंने मंत्रियों की बैठक में इस मुद्दे पर जैसे पेंच कसे उससे साफ हो गया कि उन्हें एहसास है कि कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भाजपा को अजेय बनाने के लक्ष्य में बाधा बन सकती है। इसीलिए उन्होंने मंत्रियों की बैठक में कहा कि सरकार के असली लाभार्थी तो मंत्रिपरिषद में शामिल सदस्य हैं। 

कार्यकर्ता और संगठन के जिलों व स्थानीय स्तर पर पदाधिकारियों को तो कोई लाभ नहीं मिला। सिवाय इसके कि वे अब यह कह सकते हैं कि उनकी सरकार है। इसलिए सभी मंत्री यह ध्यान रखे कि विधायकों, कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों सभी को यह विश्वास रहे कि उनकी सरकार है।

दिया जीत का फॉर्मूला
बैठकों का दौर समाप्त कर वापस जाते-जाते शाह ने जिस तरह यह कहा कि पहले हम चुनाव के वक्त चुनाव लड़ते थे। आज हम लगातार चुनाव लड़ने के लिहाज से तैयारी करते हैं। इसीलिए जीत मिलती है। 

कोर कमेटी की बैठक में भी उन्होंने कहा कि तैयारी 2019 को लक्ष्य रखकर नहीं, बल्कि 2022 को रखकर करें। जब इस लिहाज से तैयारी करेंगे तो 2019 में 2014 से बेहतर सफलता मिलने से कोई नहीं रोक सकता।

दिखा असर 
शाह के जाते ही जिस तरह विधायकों की नाराजगी दूर करने की खातिर दो-दो मंत्रियों को 12-12 विधायकों की समस्याएं सुनने की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद सीएम ने अफसरों को विधायकों के प्रोटोकाल का ध्यान रखने की दी। 

कार्यकर्ताओं से संपर्क और संवाद बढ़ाने तथा साख व सम्मान बरकरार रखने की चिंता के लिहाज से संगठन में भी कुछ नए फैसलों की सुगबुगाहट है। इससे साफ हो गया कि तीन दिन के इस दौरे में वे पार्टी के सामने भविष्य में के खतरों से निपटने का वह ब्लू प्रिंट ही नहीं दे गए हैं, बल्कि उस पर अमल की हिदायत भी दे दी है। 

उन्हें इस बात का एहसास है कि मिशन 2019 की कामयाबी के लिए मजबूत चुनावी फील्डिंग सजाने के लिए कार्यकर्ताओं व विधायकों की शिकायतों पर गंभीर होना जरूरी है। 

प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक कहते भी हैं कि भाजपा संगठन व कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। इसलिए हमारे लिए संगठन और कार्यकर्ता ही सर्वोपरि है। इनका सम्मान हमारी प्राथमिकता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष की बैठकों में इसी पर जोर रहा है। 

हमें इस बात को लेकर कोई भ्रम नहीं है कि इतना बड़ा बहुमत मिलने के पीछे संगठन की हर जगह मौजूदगी और कार्यकर्ताओं का जनता के बीच संपर्क व संवाद ही है। आगे भी हमारा फोकस इसी पर रहेगा।

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