रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने पहली बार नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार के निर्णय पर सवाल खड़े किये हैं। राजन ने बताया कि उन्होंने सरकार को नोटबंदी से दीर्घावधि के फायदों पर निकट भविष्य के नुकसान के हावी होने को लेकर चेतावनी दी थी।

पूर्व गवर्नर ने नोटबंदी पर अपनी राय रखते हुए एक किताब में लिखा है, ‘उनका पहले से ही मानना था कि नोटबंदी की वजह से दीर्घकालिक यानी कि लेंबे समय में नुकसान होने वाला है।’
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राजन ने ये बातें अपनी आनेवाली पुस्तक ‘I Do What I Do: On Reforms Rhetoric and Resolve’ में लिखी हैं।
2016 में रघुराम राजन ने काले धन को सिस्टम में लाने के लिए सरकार को कई सुझाव भी दिए थे। राजन ने इस बारे में ज़िक्र करते हुए कहा, ‘मैने फरवरी 2016 में मौखिक तौर पर अपनी सलाह दी थी और बाद में आरबीआई की तरफ से सरकार को एक नोट भी सौंपा था। जिसमें उठाए जानेवाले जरूरी कदमों और समयसीमा की रूपरेखा बताई थी।
हालांकि राजन ने ये बात भी मानी है कि नोटबंदी के पीछे सरकार का इरादा अच्छा था।
उन्होंने कहा, ‘इरादा भले ही अच्छा था लेकिन आर्थिक रुप से इसका बहुत बड़ा ख़ामियाज़ा भी भुगतना पड़ रहा है। निश्चित रूप से अब तो कोई किसी सूरत में नहीं कह सकता है कि यह आर्थिक रूप से सफल रहा है।’
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बता दें कि राजन के गवर्नर पद का कार्यकाल तीन सितंबर 2016 को पूरा हो गया था। नोटबंदी के समय वो शिकागो यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र पढ़ा रहे थे। राजन ने कहा कि वह एक साल तक भारत से जुड़े विषयों पर नहीं बोले, क्योंकि वह कामकाज में दखल नहीं देना चाहते थे।
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