प्रेगनेंसी से बचने के लिए पिल्स की जगह…

बदलते वक्‍त के साथ लोग भी मॉडर्न होने लगे हैं और गर्भनिरोध के लिए उपयोग होने वाली चीजों का खूब उपयोग भी करने लगे हैं। इसे जागरूकता कहें या कुछ और, लेकिन देश की राजधानी में अब प्रेगनेंसी से बचने के लिए कॉन्‍ट्रासेप्टिव पिल्‍स की बजाय दूसरे तरीकों की तरफ लोग ज्‍यादा जाने लगे हैं।

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हाल ही में राज्‍य सरकार की तरफ से जारी की गई स्‍टेस्टि‍कल हैंडबुक के अनुसार, प्रेगनेंसी रोकने के लिए जहां महिलाओं ने कॉन्‍ट्रासेप्टिव पिल्‍स का उपयोग कम किया है, वहीं पुरुषों ने सीधे नसबंदी का रास्‍ता चुन लिया है। वहीं निरोध को लेकर लोगों की झिझक कम हुई है और इसके उपयोग में भी तेजी आई है। हालांकि यह माना जा रहा है कि पिल्‍स से होने वाले साइड इफेक्‍ट भी इसकी वजह हो सकते हैं।

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इस सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012 से पिल्‍स के उपयोग में लगातार कमी दर्ज हुई है और 2012-13 में कुल 213,992 पिल्‍स के उपयोग की बात रिकॉर्ड में है। 2014 में यह 10 हजार के आसपास घटकर 207,872 पर पहुंची वहीं 2015 में इसकी संख्‍या 196,354 रह गई। 2015-16 में इसकी संख्‍या 185,499 दर्ज हुई है।

वहीं दूसरी तरफ निरोध की बात करें तो 2013-14 में जहा 5,373 निरोध बिके थे वहीं 2015-16 में यह 5,709 तक पहुंच गए। पुरुषों की नसंबदी के मामलों में भी 2013 से 2016 तक बढ़ोतरी दर्ज हुई है। 2013-14 में जहां नसबंदी के 1,401 के मामले सामने आए वहीं 2015 में यह कम होकर 2016 में फिर बढ़े और 901 पर रहे। महिलाओं में इस कदम को लेकर ज्‍यादा रूचि नजर नहीं आई और 2013-14 के 17,780 केसेस के मुकाबले 2015-16 में 16,482 रह गए।
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