अगर मॉल्स, पार्क, किले और बाग-बगीचों में घूम कर आपका मन भर गया है तो क्यों न इस बार दिल्ली के लोटस टेंपल की ओर रूख किया जाए। भागदौड़ भरी जिंदगी में अगर सुकून से कुछ पल बिताना चाह रहे हैं तो यह जगह आपके लिए ही है। लोटस टेंपल दिल्ली में बसा यह बहाई मंदिर अपने अदभुत आकार के लिए तो फेमस है ही, साथ ही इसे दिल्ली शहर का मुख्य केंद्र भी माना जाता है। दिन में सफेद मोती की तरह चमकने वाला यह टेंपल रात को पानी में रंगबिरंगे सितारों जैसा जगमगाता नजर आता है। आइए जानते हैं इस जगह से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां। जानें यहां का इतिहास बहाई समुदाय के लोगों ने इस मंदिर को बनवाया था। विभिन्न पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं में इस मंदिर की अनूठी स्थापत्य कला की प्रशंसा की गई है। चूंकि बहाई धर्म में मूर्तिपूजा की परंपरा नहीं है, इसलिए इस मंदिर के भीतर कोई मूर्ति नहीं है। यहां आने वाले लोग शांतिपूर्ण माहौल में बैठकर मेडिटेशन करते हैं। 2002 में इसे 5 करोड़ लोगों ने देखा था और 2001 में लोटस टेंपल ने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज करा लिया था।अगर मॉल्स, पार्क, किले और बाग-बगीचों में घूम कर आपका मन भर गया है तो क्यों न इस बार दिल्ली के लोटस टेंपल की ओर रूख किया जाए। भागदौड़ भरी जिंदगी में अगर सुकून से कुछ पल बिताना चाह रहे हैं तो यह जगह आपके लिए ही है। लोटस टेंपल दिल्ली में बसा यह बहाई मंदिर अपने अदभुत आकार के लिए तो फेमस है ही, साथ ही इसे दिल्ली शहर का मुख्य केंद्र भी माना जाता है। दिन में सफेद मोती की तरह चमकने वाला यह टेंपल रात को पानी में रंगबिरंगे सितारों जैसा जगमगाता नजर आता है। आइए जानते हैं इस जगह से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां। जानें यहां का इतिहास बहाई समुदाय के लोगों ने इस मंदिर को बनवाया था। विभिन्न पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं में इस मंदिर की अनूठी स्थापत्य कला की प्रशंसा की गई है। चूंकि बहाई धर्म में मूर्तिपूजा की परंपरा नहीं है, इसलिए इस मंदिर के भीतर कोई मूर्ति नहीं है। यहां आने वाले लोग शांतिपूर्ण माहौल में बैठकर मेडिटेशन करते हैं। 2002 में इसे 5 करोड़ लोगों ने देखा था और 2001 में लोटस टेंपल ने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज करा लिया था।

भागदौड़ भरी दिल्ली में सुकून के साथ घूमना-फिरना है तो लोटस टेंपल आएं

अगर मॉल्स, पार्क, किले और बाग-बगीचों में घूम कर आपका मन भर गया है तो क्यों न इस बार दिल्ली के लोटस टेंपल की ओर रूख किया जाए। भागदौड़ भरी जिंदगी में अगर सुकून से कुछ पल बिताना चाह रहे हैं तो यह जगह आपके लिए ही है।अगर मॉल्स, पार्क, किले और बाग-बगीचों में घूम कर आपका मन भर गया है तो क्यों न इस बार दिल्ली के लोटस टेंपल की ओर रूख किया जाए। भागदौड़ भरी जिंदगी में अगर सुकून से कुछ पल बिताना चाह रहे हैं तो यह जगह आपके लिए ही है।   लोटस टेंपल  दिल्ली में बसा यह बहाई मंदिर अपने अदभुत आकार के लिए तो फेमस है ही, साथ ही इसे दिल्ली शहर का मुख्य केंद्र भी माना जाता है। दिन में सफेद मोती की तरह चमकने वाला यह टेंपल रात को पानी में रंगबिरंगे सितारों जैसा जगमगाता नजर आता है। आइए जानते हैं इस जगह से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां।    जानें यहां का इतिहास  बहाई समुदाय के लोगों ने इस मंदिर को बनवाया था। विभिन्न पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं में इस मंदिर की अनूठी स्थापत्य कला की प्रशंसा की गई है। चूंकि बहाई धर्म में मूर्तिपूजा की परंपरा नहीं है, इसलिए इस मंदिर के भीतर कोई मूर्ति नहीं है। यहां आने वाले लोग शांतिपूर्ण माहौल में बैठकर मेडिटेशन करते हैं। 2002 में इसे 5 करोड़ लोगों ने देखा था और 2001 में लोटस टेंपल ने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज करा लिया था।अगर मॉल्स, पार्क, किले और बाग-बगीचों में घूम कर आपका मन भर गया है तो क्यों न इस बार दिल्ली के लोटस टेंपल की ओर रूख किया जाए। भागदौड़ भरी जिंदगी में अगर सुकून से कुछ पल बिताना चाह रहे हैं तो यह जगह आपके लिए ही है।   लोटस टेंपल  दिल्ली में बसा यह बहाई मंदिर अपने अदभुत आकार के लिए तो फेमस है ही, साथ ही इसे दिल्ली शहर का मुख्य केंद्र भी माना जाता है। दिन में सफेद मोती की तरह चमकने वाला यह टेंपल रात को पानी में रंगबिरंगे सितारों जैसा जगमगाता नजर आता है। आइए जानते हैं इस जगह से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां।    जानें यहां का इतिहास  बहाई समुदाय के लोगों ने इस मंदिर को बनवाया था। विभिन्न पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं में इस मंदिर की अनूठी स्थापत्य कला की प्रशंसा की गई है। चूंकि बहाई धर्म में मूर्तिपूजा की परंपरा नहीं है, इसलिए इस मंदिर के भीतर कोई मूर्ति नहीं है। यहां आने वाले लोग शांतिपूर्ण माहौल में बैठकर मेडिटेशन करते हैं। 2002 में इसे 5 करोड़ लोगों ने देखा था और 2001 में लोटस टेंपल ने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज करा लिया था।

लोटस टेंपल

दिल्ली में बसा यह बहाई मंदिर अपने अदभुत आकार के लिए तो फेमस है ही, साथ ही इसे दिल्ली शहर का मुख्य केंद्र भी माना जाता है। दिन में सफेद मोती की तरह चमकने वाला यह टेंपल रात को पानी में रंगबिरंगे सितारों जैसा जगमगाता नजर आता है। आइए जानते हैं इस जगह से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां।

जानें यहां का इतिहास

बहाई समुदाय के लोगों ने इस मंदिर को बनवाया था। विभिन्न पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं में इस मंदिर की अनूठी स्थापत्य कला की प्रशंसा की गई है। चूंकि बहाई धर्म में मूर्तिपूजा की परंपरा नहीं है, इसलिए इस मंदिर के भीतर कोई मूर्ति नहीं है। यहां आने वाले लोग शांतिपूर्ण माहौल में बैठकर मेडिटेशन करते हैं। 2002 में इसे 5 करोड़ लोगों ने देखा था और 2001 में लोटस टेंपल ने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज करा लिया था।

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