बड़ी खबर: भारतीय कूटनीतिक की हुई जीत, चीन के रुख में आ रही नरमी, माना भूटान के साथ डोकलाम पर है विवाद

डोकलाम के मुद्दे पर चीन और भारत के बीच तनातनी बरकरार है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि अब चीन के रुख में नरमी आ रही है। चीन ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि डोकलाम को लेकर उसका भूटान के साथ विवाद है। साथ ही उसने भारत को सलाह दी है कि वह इस मामले में तीसरे पक्ष के तौर न कूदे। चीन ने भारत से बिना शर्त डोकलाम से अपनी सेना हटाने को कहा। इन सबके बीच ये बड़ा सवाल है कि चीन के रुख में नरमी क्यों आई है? क्या भारतीय एनएसए अजीत डोभाल के बीजिंग दौरे के बाद चीनी रुख में ये बदलाव आया है या चीन को अपने व्यवसायिक हितों की चिंता है? या चीन को लगने लगा है कि अब मौजूदा भारत 1962 का भारत नहीं है। लेकिन एक बात तो साफ है कि डोकलाम के मुद्दे पर चीन जिस तरह से भारत पर दबाव बना रहा है, उसके पीछे कोई ठोस आधार नहीं है। चीन एक तरफ भारत के साथ शाश्वत मित्रता की बात करता है, साथ ही भारत को धमकी भी देता रहता है।

भारतीय कूटनीतिक की हुई जीत, चीन के रुख में आ रही नरमी, माना भूटान के साथ डोकलाम पर है विवाद

चीन ने अब माना भूटान से है विवाद

चीन अब तक डोकलाम को अपना क्षेत्र बताता था और इस विवाद के संदर्भ में भूटान का जिक्र करने से भी बचता था। चीन के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को 15 पेज का दस्तावेज जारी कर कहा कि चीन और भूटान का सीमा विवाद है। दोनों देश इस मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं। भारत को तीसरे पक्ष के रूप में चीन-भूटान के बीच सीमा बातचीत में दखल नहीं देना चाहिए। डोकलाम में सड़क निर्माण को लेकर उसने भारत को पहले ही बता दिया था। चीन ने कहा है कि संबंधों को सामान्य बनाने की ठोस कार्रवाई के तौर पर भारत डोकलाम से सेना हटाए। सीमा पर व्याप्त गतिरोध को खत्म करने के लिए कोई शर्त न जोड़ी जाए। भारत के चार सौ सैनिक बुलडोजर लेकर घुसे हैं, बावजूद इसके चीन संयम दिखा रहा है।

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जानकार की राय

Jagran.Com से खास बातचीत में रक्षा मामलों के जानकार राज कादयान ने कहा कि चीन की बेजा दबाव बनाने की आदत शुरू से रही है। उत्तेजक बयानों के जरिए चीन अपने पड़ोसियों को भड़काने की कोशिश करता है। लेकिन डोकलाम का मुद्दा हो या सीपेक का मामला भारत ने पहले दिन ही साफ कर दिया कि वो अपनी संप्रभुता के साथ किसी तरह की चाल को बर्दाश्त नहीं करेगा। इसके अलावा वो अपने मित्र देशों की संप्रभुता का ख्याल करते हुए उन्हें मुश्किल हालात में मदद भी करता रहेगा।

चीन के दावे का भारत ने किया खंडन

भारत ने चीन के इस दावे का खंडन किया है कि डोकलाम से भारतीय सैनिकों की संख्या कम की गई है। भारतीय अधिकारियों ने यह बात तब कही जब चीन ने 15 पेज का दस्तावेज जारी कर कहा कि डोकलाम में जून में भारतीय सैनिकों की संख्या 400 थी जो जुलाई के अंत में घटकर 40 हो गई है। चीन के दावे को खारिज करते हुए भारत ने कहा है कि डोकलाम में चीन के सड़क निर्माण को लेकर तनातनी के बाद से करीब 350 भारतीय सैनिक पिछले छह हफ्ते से वहां मौजूद हैं।

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एनएसए डोभाल की कोशिश लाई रंग

चीनी विदेश मंत्रालय ने 28 जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अपने चीनी समकक्ष यांग जिएची से बीजिंग में हुई बातचीत के बाद ये बातें कही हैं। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दोनों देशों के बीच वार्ता में जिएची ने चीन के क्षेत्र से भारतीय सेना के हटने की स्पष्ट अपेक्षा जता दी थी। वार्ता में जिएची ने अनुरोध किया कि भारत चीन की संप्रभुता का सम्मान करे और अंतरराष्ट्रीय कानून को मानते हुए तत्काल वहां से सेना हटाए। भारत की स्थिति विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में बहस के दौरान साफ कर दी थी कि भारत की सेना तभी वापस आएगी, जब चीन की भी पूर्व स्थिति में लौटेगी। इसके बाद डोकलाम की स्थिति पर दोनों देश वार्ता करेंगे।

भारत सरकार ने चीन को बता दिया है कि इलाके में सड़क का निर्माण करना वहां की स्थिति में बदलाव का संदेश देगा। वह इलाका भारत, भूटान और चीन के मध्य का इलाका है। इसके स्वामित्व को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है। इस क्षेत्र से भारत के सुरक्षा हित जुड़े हुए हैं, इसलिए वह वहां पर कोई परिवर्तन नहीं चाहता है।

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