शिक्षामित्रों को राहत देने के लिए उनका मानदेय 3500 से बढ़ाकर 10 से 15 हजार रुपये के बीच किया जा सकता है। बतौर सहायक अध्यापक शिक्षामित्रों को 39 हजार रुपये मिल रहे थे।
सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द होने के बाद उनका मानदेय घटकर 3500 रुपये रह गया है। शिक्षामित्रों ने सरकार से 25 से 30 हजार रुपये तक मानदेय देने की मांग की है।
गत अप्रैल में केंद्र सरकार ने समायोजन से वंचित रहे शिक्षामित्रों का मानदेय 3500 से बढ़ाकर 10 हजार करने की स्वीकृति दी थी। इसके मद्देनजर बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षामित्रों का मानदेय 10 से 15 हजार रुपये तक देने पर विचार कर रहा है। 10 हजार से अधिक मानदेय भी वित्त विभाग की सहमति के बाद ही मिल सकेगा।
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शिक्षक भर्ती में वरीयता और भारांक के तैयार कर रहे मानदंड
शिक्षामित्रों ने प्रतिवर्ष अनुभव के आधार पर 5 से 10 भारांक की मांग की है, लेकिन इतने भारांक देना संभव नहीं होगा। इसलिए भारांक कानूनी राय के आधार पर ही निर्धारित किए जाएंगे। विभाग जल्द ही टेट का आयोजन कराने की तैयारी कर रहा है।
उपस्थिति दर्ज नहीं करने दे रहे प्रधानाचार्य
संयुक्त सक्रिय शिक्षक शिक्षामित्र समिति के अध्यक्ष दुष्यंत चौहान ने स्कूलों में प्रधानाचार्यों द्वारा शिक्षामित्रों को उपस्थिति दर्ज नहीं करने देने की शिकायत बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह से की। निदेशक ने ऐसे स्कूलों के नाम मांगे हैं। उन्होंने कहा कि जो शिक्षामित्र जहां कार्यरत हैं, वहीं जाकर पढ़ाएं।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव व महामंत्री धर्मेंद्र यादव के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री से शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाकर रोजगार प्रदान करने, सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करने, शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के समकक्ष सुविधाएं एवं अधिकार देने, वेतन भत्ता एवं प्रोन्नति देकर पद को स्थायी करने की मांग की।
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संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने राष्ट्रपति के फेसबुक पेज के हवाले से बयान जारी किया है कि रामनाथ कोविंद ने भी यूपी सरकार को शिक्षामित्रों की समस्या के समाधान का रास्ता निकालने को कहा है।
कोविंद के कथित एफबी पेज पर 1 अगस्त को सुबह 11.34 बजे अपलोड पोस्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार को शिक्षामित्रों के लिए जल्द से जल्द कोई रास्ता निकालना चाहिए।