वैक्सीन की दो खुराक के मध्य ज्यादा अंतर कितना कारगर

 कोविड-19 महामारी की वैक्सीन आ चुकी है, लेकिन वैक्सीन आने के बाद भी चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। वैक्सीन की सीमित मात्रा के कारण विभिन्न देश अपने तरीके से इसका इस्तेमाल करने जा रहे हैं। ब्रिटेन की सरकार ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की दूसरी खुराक देने में देरी करने का फैसला किया है। सरकार का मानना है कि इससे खुराक को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सकेगा। हालांकि इसे लेकर वैक्सीन के प्रभाव और खुराक के अंतराल पर बहस छिड़ गई है। आइए जानते हैं कि वैक्सीन की दूसरी खुराक देने में देरी का क्या असर हो सकता है।

80 फीसद से अधिक प्रभावशाली : ब्रिटेन सरकार का यह फैसला मानव दवाओं के विशेषज्ञ कार्य समूह की सिफारिशों पर आधारित है। जिसमें कहा गया था कि पहली और दूसरी खुराक के बीच तीन महीने का अंतर था तब भी वैक्सीन 80 फीसद से अधिक प्रभावशाली रही थी।

अध्ययन से मिला समर्थन : दो खुराक के बीच अंतराल के सिद्धांत को चिकनपॉक्स वैक्सीन पर हुए अध्ययन से समर्थन मिला। जिसे करीब एक दशक पूर्व इटली में किया गया था। अध्ययन दर्शाता है कि चिकनपॉक्स की घटनाओं को कम करने में सबसे प्रभावी कारक उच्च वैक्सीन कवरेज था। हालांकि यह स्वीकार किया गया कि दो खुराक की रणनीति ज्यादा बेहतर थी। अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि वैक्सीन की एक खुराक देने की रणनीति दो खुराक देने की रणनीति के साथ तुलनात्मक रूप से गंभीर मामलों को रोकने में नेतृत्व करती है।

अंतराल को लेकर मानक दिशानिर्देश कह रहे अलग ही कहानी : ब्रिटेन की मेडिसिंस एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दो खुराक के बीच 4 से 12 सप्ताह के अंतराल की सिफारिश की है और साथ ही फाइजर-बायोएनटेक की दूसरी खुराक को लेकर अपडेट गाइडलाइन भी जारी की है, जिसमें कहा है कि इसकी 12 सप्ताह में व्यवस्था की जा सकती है। हालांकि वास्तविक रूप से 21 दिन की सिफारिश की गई थी।

संक्रमण रोक देती है एक खुराक : ब्रिटेन की सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर कैलम सेंपल का कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल का डाटा बताता है कि सिर्फ एक खुराक ही लोगों में वायरस के संक्रमण को रोक देती है। साथ ही इस दौरान प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया भी बहुत ही अच्छी होती है, यहां तक की बुजुर्गों के बीच भी।

ज्यादा अंतराल उचित नहीं : पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग की संक्रामक बीमारी विशेषज्ञ डॉक्टर लिंडा नाभा के मुताबिक, वैक्सीन की दूसरी खुराक बहुत जल्द या बहुत देरी से देने का प्रतिकूल प्रभाव कोविड-19 के लिए प्रतिरक्षा देने पर पड़ सकता है। जबकि कुछ सप्ताह के लिए वैक्सीन नहीं लगाना बहुत खास बात नहीं है। हालांकि उन्होंने चेतावनी दी है कि दूसरी खुराक में कुछ महीनों की देरी का अर्थ है कि वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति को इसे फिर से लगवाने की जरूरत होगी।

 

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