आम आदमी पार्टी व शिरोमणि अकाली दल ने शिक्षण संस्थानों में लग रहे रोजगार मेलों को लेकर कैप्टन सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। दोनों दलों ने कहा है कि रोजगार मेले हकीकत में शिक्षण संस्थानों की तरफ से लगाए जाने वाले प्लेसमेंट प्रोग्राम का हिस्सा हैं, जबकि कांग्रेस सरकार इसे सरकारी रोजगार मेलों का रूप देकर वाहवाही लूटना चाहती है।
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आप के विधायक व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा है कि कांग्रेस ने लोगों से घर-घर रोजगार देने का वायदा किया था। अब प्लेसमेंट प्रोग्रामों पर सरकारी मोहर लगाकर सरकार लोगों को गुमराह कर रही है। अकाली दल के प्रवक्ता डा. दलजीत सिंह चीमा ने कहा है कि प्लेसमेंट प्रोग्रामों में 6 से 9 हजार रुपये की नौकरी युवाओं को मिल रही है, जबकि न्यूनतम मजदूरी 321 से 356 रुपये प्रतिदिन है।
खैहरा ने कहा कि प्लेसमेंट प्रोग्राम विभिन्न निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा बीते एक दशक से ज्यादा समय से चलाए जा रहे हैं, जबकि तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी इन रोजगार मेलों को सरकार की उपलब्धि बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारी महकमों में हजारों की संख्या में पद खाली पड़े हैं, लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार उक्त पदों को नहीं भर रही है। वहीं डा. चीमा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में पंजाब में 2.28 लाख युवाओं को रोजगार प्रदान किए गए थे।
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न्यूनतम वेतन को लेकर भी अकाली दल और आप ने सरकार को घेरा है। अकाली दल का कहना है कि पंजाब में कुशल कारीगर को 356 रुपये प्रतिदिन न्यूनतम वेतन है, जबकि खेतीबाड़ी के मजदूरों की दिहाड़ी 303 रुपये है। सरकार की अगुवाई में कंपनियां युवाओं को जो वेतन ऑफर कर रही हैं वह इससे भी कम है। सरकार अपने वायदे से यू टर्न ले रही है।
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