जब 12 साल की मीराबाई ने उठा लिया था लकड़ी का गट्ठर भारत के राष्ट्रीय कोच विजय शर्मा ने कहा ,‘इस प्रदर्शन के पीछे पिछले चार साल की मेहनत है. हमने प्रशिक्षण के तरीकों में बदलाव किए और खिलाड़ियों के आहार में भी.’ उन्होंने कहा ,‘साइ की मेस में हर खिलाड़ी के लिए समान आहार होता है, लेकिन अलग-अलग खेलों में अलग खुराक की जरूरत होती है. हमने अलग खुराक मांगी, जिसमें जर्मनी से आए पोषक सप्लीमेंट और विशेष खुराक यानी मटन और पोर्क शामिल थे,’ सतीश ने दर्द को भुलाकर भारत को दिलाया स्वर्ण पदक भारत के लिए मीराबाई चानू ( 48 किलो ), संजीता चानू ( 53 किलो), सतीश शिवालिंगम ( 77 किलो ), आर वेंकट राहुल ( 85 किलो ) और पूनम यादव ( 69 किलो ) ने स्वर्ण पदक पर कब्जा किया, जबकि पी. गुरुराजा ( 56 किलो ) और प्रदीप सिंह ( 105 किलो ) को रजत पदक मिले. विकास ठाकुर ( 94 किलो ) और दीपक लाठेर ( 69 किलो ) ने कांस्य पदक जीते. संजीता ने पूरा किया 'गोल्डन डबल', बनीं गोल्ड कोस्ट क्वीन शर्मा ने कहा ,‘इन बच्चों ने पिछले चार साल में राष्ट्रीय शिविर से 10-12 दिन से ज्यादा की छुट्टी नहीं ली, इतना अनुशासित इनका प्रशिक्षण रहा.’ कोच ने यह भी कहा कि डोपिंग से निपटने के लिए भी कड़े कदम उठाए गए. उन्होंने कहा ,‘हमने राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी की मदद से हर साल 500 से ज्यादा डोप टेस्ट किए, आप रिकॉर्ड देख सकते हैं. हमने डोपिंग को लेकर खिलाड़ियों के मन में डर पैदा किया.’ कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने वाले सबसे युवा भारतीय वेटलिफ्टर बने लाठेर उन्होंने कहा ,‘खिलाड़ी धोखा क्यों करते हैं, क्योंकि उनकी खुराक अच्छी नहीं होती. हमने उनकी खुराक का पूरा ध्यान रखा .’ भारतीयों का प्रदर्शन भले ही राष्ट्रमंडल खेलों में यादगार रहा, लेकिन पूर्णकालिक फिजियो की कमी जरूर खली. शर्मा ने कहा ,‘हम कल प्लस 105 किलो में भी पदक जीत सकते थे, लेकिन गुरदीप सिंह की कमर में तकलीफ थी और फिजियो बहुत जरूरी था. हमने अधिकारियों को लिखा है कि भविष्य में ऐसा नहीं होना चाहिए, उम्मीद है कि इस प्रदर्शन के बाद हमारी सुनी जाएगी.’

CWG: जर्मनी से आई खुराक लेकर भारतीय वेटलिफ्टरों ने रचा इतिहास

भारतीय भारोत्तोलन टीम 5 गोल्ड, दो सिल्वर और दो ब्रॉन्ज पदक लेकर बुधवार को गोल्डकोस्ट से स्वदेश लौटेगी. इस खेल में भारत पदक तालिका में अव्वल रहा. खेलों के दौरान पूर्णकालिक फिजियो साथ नहीं होने के बावजूद भारतीय भारोत्तोलकों का यह प्रदर्शन सराहनीय है. अभ्यास सत्र के दौरान हर भारोत्तोलक के पास कोच नहीं था, क्योंकि साथ आये कोच प्रतिदिन प्रतिस्पर्धा स्थल पर रहते थे.जब 12 साल की मीराबाई ने उठा लिया था लकड़ी का गट्ठर  भारत के राष्ट्रीय कोच विजय शर्मा ने कहा ,‘इस प्रदर्शन के पीछे पिछले चार साल की मेहनत है. हमने प्रशिक्षण के तरीकों में बदलाव किए और खिलाड़ियों के आहार में भी.’ उन्होंने कहा ,‘साइ की मेस में हर खिलाड़ी के लिए समान आहार होता है, लेकिन अलग-अलग खेलों में अलग खुराक की जरूरत होती है. हमने अलग खुराक मांगी, जिसमें जर्मनी से आए पोषक सप्लीमेंट और विशेष खुराक यानी मटन और पोर्क शामिल थे,’  सतीश ने दर्द को भुलाकर भारत को दिलाया स्वर्ण पदक  भारत के लिए मीराबाई चानू ( 48 किलो ), संजीता चानू ( 53 किलो), सतीश शिवालिंगम ( 77 किलो ), आर वेंकट राहुल ( 85 किलो ) और पूनम यादव ( 69 किलो ) ने स्वर्ण पदक पर कब्जा किया, जबकि पी. गुरुराजा ( 56 किलो ) और प्रदीप सिंह ( 105 किलो ) को रजत पदक मिले. विकास ठाकुर ( 94 किलो ) और दीपक लाठेर ( 69 किलो ) ने कांस्य पदक जीते.  संजीता ने पूरा किया 'गोल्डन डबल', बनीं गोल्ड कोस्ट क्वीन  शर्मा ने कहा ,‘इन बच्चों ने पिछले चार साल में राष्ट्रीय शिविर से 10-12 दिन से ज्यादा की छुट्टी नहीं ली, इतना अनुशासित इनका प्रशिक्षण रहा.’ कोच ने यह भी कहा कि डोपिंग से निपटने के लिए भी कड़े कदम उठाए गए. उन्होंने कहा ,‘हमने राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी की मदद से हर साल 500 से ज्यादा डोप टेस्ट किए, आप रिकॉर्ड देख सकते हैं. हमने डोपिंग को लेकर खिलाड़ियों के मन में डर पैदा किया.’  कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने वाले सबसे युवा भारतीय वेटलिफ्टर बने लाठेर  उन्होंने कहा ,‘खिलाड़ी धोखा क्यों करते हैं, क्योंकि उनकी खुराक अच्छी नहीं होती. हमने उनकी खुराक का पूरा ध्यान रखा .’ भारतीयों का प्रदर्शन भले ही राष्ट्रमंडल खेलों में यादगार रहा, लेकिन पूर्णकालिक फिजियो की कमी जरूर खली. शर्मा ने कहा ,‘हम कल प्लस 105 किलो में भी पदक जीत सकते थे, लेकिन गुरदीप सिंह की कमर में तकलीफ थी और फिजियो बहुत जरूरी था. हमने अधिकारियों को लिखा है कि भविष्य में ऐसा नहीं होना चाहिए, उम्मीद है कि इस प्रदर्शन के बाद हमारी सुनी जाएगी.’

हर साल 500 से ज्यादा डोप टेस्ट, विशेष खुराक तथा जर्मनी से आए पोषक सप्लीमेंट 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में 5 गोल्ड मेडल जीतने वाले भारतीय वेटलिफ्टरों की सफलता का राज है.

पीछे पिछले चार साल की मेहनत है. हमने प्रशिक्षण के तरीकों में बदलाव किए और खिलाड़ियों के आहार में भी.’ उन्होंने कहा ,‘साइ की मेस में हर खिलाड़ी के लिए समान आहार होता है, लेकिन अलग-अलग खेलों में अलग खुराक की जरूरत होती है. हमने अलग खुराक मांगी, जिसमें जर्मनी से आए पोषक सप्लीमेंट और विशेष खुराक यानी मटन और पोर्क शामिल थे,’

भारत के लिए मीराबाई चानू ( 48 किलो ), संजीता चानू ( 53 किलो), सतीश शिवालिंगम ( 77 किलो ), आर वेंकट राहुल ( 85 किलो ) और पूनम यादव ( 69 किलो ) ने स्वर्ण पदक पर कब्जा किया, जबकि पी. गुरुराजा ( 56 किलो ) और प्रदीप सिंह ( 105 किलो ) को रजत पदक मिले. विकास ठाकुर ( 94 किलो ) और दीपक लाठेर ( 69 किलो ) ने कांस्य पदक जीते.

 

शर्मा ने कहा ,‘इन बच्चों ने पिछले चार साल में राष्ट्रीय शिविर से 10-12 दिन से ज्यादा की छुट्टी नहीं ली, इतना अनुशासित इनका प्रशिक्षण रहा.’ कोच ने यह भी कहा कि डोपिंग से निपटने के लिए भी कड़े कदम उठाए गए. उन्होंने कहा ,‘हमने राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी की मदद से हर साल 500 से ज्यादा डोप टेस्ट किए, आप रिकॉर्ड देख सकते हैं. हमने डोपिंग को लेकर खिलाड़ियों के मन में डर पैदा किया.’

उन्होंने कहा ,‘खिलाड़ी धोखा क्यों करते हैं, क्योंकि उनकी खुराक अच्छी नहीं होती. हमने उनकी खुराक का पूरा ध्यान रखा .’ भारतीयों का प्रदर्शन भले ही राष्ट्रमंडल खेलों में यादगार रहा, लेकिन पूर्णकालिक फिजियो की कमी जरूर खली. शर्मा ने कहा ,‘हम कल प्लस 105 किलो में भी पदक जीत सकते थे, लेकिन गुरदीप सिंह की कमर में तकलीफ थी और फिजियो बहुत जरूरी था. हमने अधिकारियों को लिखा है कि भविष्य में ऐसा नहीं होना चाहिए, उम्मीद है कि इस प्रदर्शन के बाद हमारी सुनी जाएगी.’

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