8 अगस्त को टोक्यो ओलंपिक का समापन हो चुका है फिर भी ओलंपिक की कई सारी कहानियां अब भी लोगों के सामने आ रही हैं। इस बार भारतीय महिला हाॅकी टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया इसके बावजूद कोई मेडल जीत पाने में सफल नहीं रही। हालांकि सेमीफाइनल तक इस टीम को पहुंचाने वाले कोच शोर्ड मारिन ने इतिहास के पन्नों से कुछ दर्दनाक बातें याद की हैं जिसमें भारत में उनकी बेस्ती भी शामिल है। तो चलिए जानते हैं आखिर कब शोर्ड मारिन को इंडिया में बेइज्जती झेलनी पड़ी थी और क्यों।
इस वाक्ये को मारिन मानते हैं अपनी बेस्ती
दरअसल मारिन 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान पुरुष हाॅकी टीम के कोच थे पर उसी साल प्रदर्शन अच्छा न होने की वजह से उनसे ये औदा छीन लिया गया और उन्हें महिला हाॅकी टीम की कमान थमा दी गई थी। इस बात को मारिन अपमानजनक मानते हैं। बता दें कि 2017 में वे भारत की महिला हाॅकी टीम को कोचिंग दे रहे थे। किसी वजह से उन्हें बाद में भारत के पुरुष हाॅकी टीम का कोच नियुक्त कर दिया गया था। हालांकि 2018 में उन्हें दोबारा महिला हाॅकी टीम का कोच बना दिया गया। ये मारिन को काफी अपमानजनक लगा और कहते हैं कि इस बात को लेकर आज भी मारिन के मन में कड़वाहट भरी हुई है।
ये भी पढ़ें- तो क्या ओलंपिक में होगी क्रिकेट की वापसी, जानें क्या कह रहे हालत
ये भी पढ़ें- न्यूजीलैंड का ये खिलाड़ी लड़ रहा मौत से जंग, एक मैच में लिए थे 10 विकेट
मारिन बोले महिला टीम में वापसी अच्छी रही
इस बार टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला टीम सेमीफाइनल में पहुंच कर खेल से बाहर हो गई। मारिन ने इस बात पर न्यूज एजेंसी पीटीआई को इंटरव्यू दिया और कहा, ‘मैं अपने कोचिंग के बदलावों को लेकर खुश नहीं था पर जो भी हुआ वो सही ही हुआ। पुरुष टीम के साथ जो कुछ भी हुआ था वो सम्मानजनक कतई नहीं था। जब मुझे वापस महिला टीम का कोच बनाया गया को गोलकीपर सविता मेरे पास आईं और बोलीं कि सर मैं बेहद खुश हूं कि आप लौट आए। मेरे लिए वो एक अजीब सी बात थी… पहले मैं सोच रहा था कि मेरा वापस आना सम्मानजनक नहीं है बाद में मुझे महसूस हुआ कि ये अच्छा हुआ।’
ऋषभ वर्मा