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FM: वित्त मंत्री का दावा अगले साल ब्रिटेन को पछ़ाड देगा भारत!

नयी दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को एक बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि भारत अगले साल ब्रिटेन को पछ़ाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। उन्होंने कहा कि देश में बढ़ती खपत और मजबूत आर्थिक गतिविधियों की वजह से हम ब्रिटेन से आगे …

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अगले साल ब्रिटेन को पछाड़ 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत: अरुण जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारत अगले साल ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. उन्होंने यहां कहा, ‘‘इस साल आकार के लिहाज से हमने फ्रांस को पीछे छोड़ा है. अगले साल हम ब्रिटेन को पीछे छोड़ देंगे. इस तरह हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे.’’ वित्त मंत्री ने कहा कि दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि की रफ्तार धीमी है. उन्होंने कहा कि भारत में अगले 10 से 20 साल में दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में आने की क्षमता है. इससे पहले जुलाई में जारी हुई वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. उसने इस मामले में फ्रांस को पीछे छोड़कर यह मुकाम हासिल किया है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, भारत की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) पिछले साल के आखिर में 2.597 ट्रिलियन डॉलर (178 लाख करोड़ रुपए) रही, जबकि फ्रांस की 2.582 ट्रिलियन डॉलर (177 लाख करोड़ रुपए) रही. कई तिमाहियों की मंदी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था जुलाई 2017 से फिर से मजबूत होने लगी. 2017 जुलाई से मजबूत हुई अर्थव्यवस्था आपको बता दें कि भारत की आबादी इस समय 1.34 अरब यानी 134 करोड़ है और यह दुनिया का सबसे आबादी वाला मुल्क बनने की दिशा में अग्रसर है. उधर, फ्रांस की आबादी 6.7 करोड़ है. वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, फ्रांस की प्रति व्यक्ति जीडीपी भारत से 20 गुना ज्यादा है. मोदी सरकार के इस काम की World Bank ने भी की तारीफ, कहा ‘बहुत अच्छा’ काम किया तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत वर्ल्ड बैंक ग्लोबल इकोनॉमिक्स प्रॉस्पेक्टस रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी और जीएसटी के बाद आई मंदी से भारत की अर्थव्यवस्था उबर रही है. नोटबंदी और जीएसटी (माल एवं सेवा कर) के कारण दिखे ठहराव के बाद पिछले साल मैन्युफैक्चरिंग और उपभोक्ता खर्च भारतीय अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के प्रमुख कारक रहे. एक दशक में भारत ने अपनी जीडीपी को दोगुना कर दिया है और संभावना जताई जा रही है कि चीन की रफ्तार धीमी पड़ सकती है और एशिया में भारत प्रमुख आर्थिक ताकत के तौर पर उभर सकता है. उम्मीद जताई गई है कि भारत 2032 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. कौन सा देश किस पायदान पर देश जीडीपी अमेरिका $19.390 ट्रिलियन (1,379 लाख करोड़) चीन $12.237 ट्रिलियन (963 लाख करोड़) जापान $4.872 ट्रिलियन (351 लाख करोड़) जर्मनी $3.677 ट्रिलियन (289 लाख करोड़) यूके $2.622 ट्रिलियन (202 लाख करोड़) भारत $2.597 ट्रिलियन (178 लाख करोड़) फ्रांस $2.582 ट्रिलियन (177 लाख करोड़) IMF भी है भारत पर पॉजिटिव अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार इस साल भारत की ग्रोथ 7.4 फीसदी रह सकती है और कर सुधार व घरेलू खर्चे के चलते 2019 में भारत की विकास दर 7.8 फीसदी पहुंच सकती है. वहीं, दुनिया की औसत विकास दर 3.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारत अगले साल ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. उन्होंने यहां कहा, ‘‘इस साल आकार के लिहाज से हमने फ्रांस को पीछे छोड़ा है. अगले साल हम ब्रिटेन को पीछे छोड़ देंगे. इस तरह हम दुनिया …

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जॉनसन एंड जॉनसन के हिप रिप्‍लेसमेंट में निकली घटिया सामग्री? 20 लाख मुआवजे दे : समिति

दिल्‍ली: जॉनसन एंड जॉनसन की सहायक इकाई ने देश में 3600 घटिया हिप रिप्‍लेसमेंट सिस्‍टम बेचे थे. इसका खुलासा केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की सरकारी समिति की रिपोर्ट में हुआ है. समिति ने कंपनी के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई की सिफारिश की है और जिन मरीजों के यह सिस्‍टम लगा है उन्‍हें 20-20 लाख रुपए मुआवजा दिलवाने की सिफारिश केंद्र सरकार से की है. समिति ने कहा है कि सरकार को कंपनी से मुआवजा दिलाने के लिए एक हाईलेवल कमेटी बनानी चाहिए. इन घटिया हिप रिप्‍लेसमेंट सिस्‍टम से मरीजों की जान खतरे में है. समिति ने कहा है कि सिस्‍टम में बेहत घटिया सामग्री का इस्‍तेमाल हुआ है. हिप ज्‍वाइंट में बॉल और सॉकेट है, जो कार्टिलेज से कवर्ड है और लुब्रिकेटिंग मेम्‍ब्रेन से ढका हुआ है तो यह सुरक्षित रहे. पूरे हिप रिप्‍लेसमेंट में सभी उपकरणों को प्रोस्‍थेटिक कंपोनेंट से बदला जाता है जबकि मेटल स्‍टेल को थाई बोन के हॉलो सेंटर में लगाया गया है. प्रोस्‍थेटिक बॉल, सॉकेट और कार्टिलेज मजबूत प्‍लास्टिक, मेटल या सिरामिक के बने हैं. सामान्‍यत: जो हिप इम्‍प्‍लांट बाजार में मौजूद है वह मेटल ऑन पॉलीथीन, सिरेमिक ऑन पॉलीथीन पर होते हैं. क्‍यों खड़ा हुआ विवाद? इंडियन एक्‍सप्रेस की खबर के मुताबिक ये इम्‍प्‍लांट मेटल ऑन मेटल है. इसमें कोबाल्‍ट, क्रोमियम और मोलिबडेनम मुख्‍य अवयव हैं. एएसआर (आर्टिकुलेट सर्फेस रिप्‍लेसमेंट) एक्‍स एल एसीटाबुलर सिस्‍टम और एएसआर हिप रीसर्फेसिंग सिस्‍टम की मैन्‍युफैक्‍चरिंग जॉनसन एंड जॉनसन की सहायक कंपनी डिप्‍टी इंटरनेशनल लिमिटेड करती है. वह ही इसकी बिक्री भी करती है. क्‍या खड़ी हुई समस्‍या? जब प्रोस्‍थेटिक बॉल और सॉकेट आपस में रगड़ते थे तो यह खराब होने लगते थे. अगर इम्‍पलांट मेटल ऑन मेटल है तो इससे धातु निकलकर रक्‍त में मिल जाती है. इससे दिक्‍कत खड़ी हो जाती है और कई बार रिविजन सर्जरी की जरूरत पड़ती है. दुनिया में 93000 रोगियों को यह इम्‍प्‍लांट लगा है. कई को इससे काफी तकलीफ हुई है. उनकी दोबारा सर्जरी करनी पड़ी है. कई के एएसआर इम्‍प्‍लांट बदले गए हैं. इस कारण कंपनी ने 2010 में इन्‍हें खुद ही वापस मंगा लिया था. भारत में कितने मरीजों में लगा यह इम्‍प्‍लांट भारत में कंपनी को 2006 में इसे इम्‍पोर्ट करने का लाइसेंस मिला. तब तक दुनिया में इसे रिकॉल किया जा रहा था. अनुमान के तौर पर 4700 एएसआर इम्‍प्‍लांट भारत में लगे हैं. जब दुनिया में इस इम्‍प्‍लांट को लेकर बखेड़ा खड़ा हुआ तो केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने 2017 में इसकी जांच कराई और सारी सच्‍चाई सामने आ गई. समिति ने ये सिफारिश की 1- कंपनी हरेक प्रभावित मरीज को 20 लाख रुपए मुआवजा दे 2- अगस्‍त 2025 तक सभी मरीजों के खराब सिस्‍टम बदले 3- उन लोगों के नाम जाहिर किए जाएं जिनके यह सिस्‍टम लगा है 4- हरेक मरीज का हर साल चेकअप हो, यह प्रक्रिया 2025 तक चलेगी 5- मंत्रालय इसके लिए एक एक्‍सपर्ट टीम बनाए, जो मरीजों के दावे का निस्‍तारण कराए

जॉनसन एंड जॉनसन की सहायक इकाई ने देश में 3600 घटिया हिप रिप्‍लेसमेंट सिस्‍टम बेचे थे. इसका खुलासा केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की सरकारी समिति की रिपोर्ट में हुआ है. समिति ने कंपनी के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई की सिफारिश की है और जिन मरीजों के यह सिस्‍टम लगा है उन्‍हें 20-20 लाख रुपए मुआवजा …

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शेयर बाजार में गिरावट, निफ्टी 24 और सेंसेक्स 70 अंक गिरा

इस कारोबारी हफ्ते के चौथे दिन की सपाट शुरुआत करने के बाद शेयर बाजार में गिरावट शुरू हो गई है. गुरुवार को निफ्टी ने हल्की गिरावट के साथ शुरुआत की. यह 1.40 अंक गिरकर 11,690.50 के स्तर पर कारोबार शुरू करने में कामयाब रहा. सेंसेक्स की बात करें तो इसने हल्की बढ़त के साथ शुरुआत की. यह 1.83 अंक बढ़कर 38,724.76 के स्तर पर खुलने में कामयाब रहा. हालांकि शुरुआती कारोबार में बाजार में गिरावट बढ़ गई है. फिलहाल (10.23AM) निफ्टी 26.95 अंकों की बढ़ोत्तरी के साथ 11,664.95 के स्तर पर कारोबार कर रहा है. सेंसेक्स में भी गिरावट है. यह 53.25 अंक गिर कर 38,669.68 के स्तर पर फिलहाल कारोबार कर रहा है. शुरुआती कारोबार में निफ्टी-50 पर भारती एयरटेल, आईटीसी, पावरग्र‍िड, यूपीएल और गेल के शेयरों में बढ़त देखने को मिल रही है. दूसरी तरफ, यस बैंक, एक्स‍िस बैंक समेत रिलायंस के शेयरों में गिरावट नजर आ रही है. रुपये में रिकॉर्ड गिरावट: रुपये में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. गुरुवार को रुपये ने गिरावट के साथ कारोबार की शुरुआत की है. इस कारोबारी हफ्ते के चौथे दिन यह एक डॉलर के मुकाबले 70.81 के स्तर पर पहुंच गया है. यह पहली बार है, जब रुपया इस स्तर पर पहुंचा है. रुपये ने आज शुरुआत 70.63 के स्तर पर की थी. लेकिन शुरुआती कारोबार में इसमें लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. इसकी वजह से यह पहली बार 70.81 के स्तर पर पहुंचा है.

इस कारोबारी हफ्ते के चौथे दिन की सपाट शुरुआत करने के बाद शेयर बाजार में गिरावट शुरू हो गई है. गुरुवार को निफ्टी ने हल्की गिरावट के साथ शुरुआत की. यह 1.40 अंक गिरकर 11,690.50 के स्तर पर कारोबार शुरू करने में कामयाब रहा. सेंसेक्स की बात करें तो इसने हल्की बढ़त के साथ शुरुआत की. …

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नोटबंदी के बाद भी कैशलेस नहीं देश, बचत योजनाओं में पहले से ज्यादा नकदी जमा

नोटबंदी के पक्ष में सरकार द्वारा सबसे बड़ा तर्क यही दिया गया था कि इससे भारत एक कैशलेस अर्थव्यवस्था बन जाएगा. लेकिन रिजर्व बैंक के आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि नोटबंदी के बाद बचत योजनाओं में नकद जमा का अनुपात रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, नोटबंदी के बाद साल 2017-18 में नकद में बचत बढ़कर ग्रॉस नेशनल डिस्पोजबल इनकम (GNDI) का 2.8 फीसदी तक पहुंच गया, जो कि पिछले सात साल में सबसे ज्यादा है. आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 में नकद बचत जीएनडीआई का एक फीसदी और 2015-16 में इसमें 1.4 फीसदी की बढ़त हुई है. साल 2016-17 में इसमें 2 फीसदी की गिरावट आई थी. बचत भी ज्यादा और करेंसी भी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक करेंसी में सकल बचत बढ़ने के बावजूद जनता के पास मौजूद करेंसी भी नोटबंदी के पहले के स्तर से ज्यादा देखी गई. 28 अक्टूबर, 2016 (नोटबंदी से पहले) को जनता के पास कुल नकदी 17.01 लाख करोड़ रुपये थी, जबकि 3 अगस्त, 2018 को यह 18.46 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई. पिछले सात साल के आंकड़ों को देखें तो इस दौरान बैंकों में जमा नकदी में गिरावट आई है, जबकि शेयरों और डिबेंचर में निवेश बढ़ा है. जानकारों का कहना है कि ब्याज दरों में गिरावट की वजह से बैंक जमा में कमी आई है. पिछले वर्षों में शेयर बाजारों में आई मजबूती की वजह से लोग शेयरों में ज्यादा निवेश करने लगे हैं.

नोटबंदी के पक्ष में सरकार द्वारा सबसे बड़ा तर्क यही दिया गया था कि इससे भारत एक कैशलेस अर्थव्यवस्था बन जाएगा. लेकिन रिजर्व बैंक के आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि नोटबंदी के बाद बचत योजनाओं में नकद जमाका अनुपात रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा है. रिजर्व बैंक के …

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नोटबंदी से इन 10 फायदों की थी उम्मीद, हो गए ये 5 नुकसान

7. बढ़ेगा टैक्स बेस देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने का सबसे बड़ा फायदा होगा कि बड़े से बड़े और छोटे से छोटे ट्रांजैक्शन बैंकों के पास दर्ज होंगे. इन ट्रांजैक्शन पर इनकम टैक्स विभाग की भी लगातार नजर रहेगी. जब देश में ब्लैक इकोनॉमी का आधार नहीं रहेगा तो जाहिर है ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स का भुगतान करने के बाद ही अपनी खरीद-फरोख्त को पूरा कर पाएंगे. लिहाजा, नोटबंदी से उम्मीद थी कि केन्द्र और राज्य सरकारों का रेवेन्यू तेजी से बढ़ेगा, उसका वित्तीय घाटा कम होगा और देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए उसके पास पर्याप्त संसाधन रहेंगे. 8. फाइनेंशियल सेविंग में होगा इजाफा नोटबंदी के पहले तक देश में लोग अपनी सेविंग को प्रॉपर्टी, सोना और ज्वैलरी में निवेश करते थे. जरूरत पड़ने पर लोग इसे ब्लैकमार्केट में बेचकर एक बार फिर करेंसी में बदल लेते थे. नोटबंदी से पहले तक देश के 50 फीसदी से अधिक परिवार अपनी सेविंग्स को इन्हीं तरीकों से बचाकर रखते थे. यहां निवेश हुआ अधिकांश पैसा संभावित ब्लैकमनी भी थी. लिहाजा उम्मीद थी कि नोटबंदी के बाद रियल एस्टेट और सोना अपेक्षा के मुताबिक रिटर्न नहीं दें पाएंगे और आम आदमी इन माध्यमों में निवेश करने की जगह अपनी सेविंग्स को रखने के लिए एक बार फिर बैंकों का रुख करेंगे. उम्मीद थी कि लोग सेविंग बैंक, डिमांड ड्राफ्ट और म्यूचुअल फंड जैसे विकल्पों का अधिक सहारा लेंगे और यहां इन्हें सबसे सुरक्षित रिटर्न भी मिलेगा. 9. बढ़ेगी बैंकों की कमाई नोटबंदी से कालेधन पर लगाम के साथ-साथ तेजी से बढ़ते डिजिटल पेमेंट से नोटबंदी के बाद बैंकों की कमाई में बड़ा इजाफा देखने की उम्मीद बंधी थी. माना जा रहा था कि इस इजाफे के सहारे बैंक अपना विस्तार करेंगे और ग्राहकों को लुभाने के लिए आसान और सस्ती बैंकिंग का रास्ता साफ करेंगे. इसके साथ ही यह भी उम्मीद लगाई गई कि नोटबंदी से बैंकों के पास एकत्रित हुई दौलत उन्हें उनका घाटा पाटने में भी मदद करेगी. 10 सस्ता होगा कर्ज नोटबंदी के बाद से बैंको को रहे फायदे का सीधा असर देश में ब्याज दरों पर पड़ना तय है. उम्मीद थी कि वित्तीय जगत में पारदर्शिता के साथ-साथ बैंक अपना कारोबार फैलाने के लिए ज्यादा से ज्यादा कर्ज देने की कोशिश करेंगे. वहीं ग्राहकों को लुभाने के लिए वह कर्ज पर लगने वाले ब्याज दरों में बड़ी कटौती का ऐलान कर सकते हैं. इससे देश में घर खरीदने, कार या स्कूटर खरीदने अथवा कारोबार के लिए कर्ज सस्ते दरों में मिलना शुरू हो जाएंगे

देश में नोटबंदी लागू हुए 1 साल 9 महीने का समय बीत चुका है यानी आर्थिक वर्ष के मुताबिक 7 तिमाहियां. इन सात तिमाहियों के दौरान केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के 8 नवंबर 2016 को लिए गए नोटबंदी के फैसले पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आई. जहां केन्द्र सरकार अपने दावे कि नोटबंदी …

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New Bank: पीएम मोदी एक सितम्बर को करेंगे इस नये बैंक की शुरुआत!

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री एक सितम्बर को इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की शुरुआत करेंगे। बैंक के शुरू होने से तीन दिन पहले बैंक के खर्च की लिमिट 80 प्रतिशत बढ़ाकर 1435 करोड़ रुपये करने की मंजूरी दे दी गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की हुई …

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फेल हुई नोटबंदी? बैंकों में वापस आ गए 99% से ज्यादा पुराने नोट

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि नोटबंदी के दौरान बंद हुए लगभग सभी पुराने नोट वापस आ चुके हैं. आरबीआई ने बुधवार को अपनी एनुअल जनरल रिपोर्ट जारी की है. इसमें उसने कहा है कि कुल 99.30 फीसदी 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट वापस आ चुके हैं. आरबीआई की एनुअल रिपोर्ट में इन नोटों का पूरा लेखा-जोखा दिया है. RBI एनुअल रिपोर्ट में बताया गया है, ''स्पेसिफाइड बैंक नोट्स (SBNs) की प्रोसेसिंग का काम आरबीआई के सभी केंद्रो में पूरा हो चुका है. सर्कुलेशन से कुल 15,310.73 अरब रुपये की वैल्यू वाले पुराने नोट वापस आए हैं.'' भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया कि 8 नवंबर, 2016 को 15,417.93 अरब रुपये की वैल्यू के 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट सर्कुलेशन में थे. इसके बाद इनमें से जितने नोट वापस आए हैं, उनकी कुल वैल्यू 15,310.73 अरब रुपये है. इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी एनुअल रिपोर्ट में जीएसटी को भी सफल बताया है. उसने कहा है कि जीएसटी अप्रत्यक्ष कर में पारदर्श‍ित बरतने में नींव का पत्थर साबित हुआ है. ANI ✔ @ANI · 3h Replying to @ANI RBI Annual Report 2017-18 states, "Domestic financial markets were broadly stable,with rallies in equity markets&intermittent corrections, hardening bond yields,the rupee trading with a generally appreciating bias except towards close of the yr&ample liquidity in money markets" ANI ✔ @ANI RBI Annual report for the year 2017-18 states,"Implementation of GST achieved another important milestone towards an efficient indirect tax structure. On the external front, the current account deficit was comfortably financed with accretions to foreign exchange reserves." 11:31 AM - Aug 29, 2018 26 16 people are talking about this Twitter Ads info and privacy बता दें मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने का ऐलान किया था. 8 नवंबर की रात से ये पुराने नोट बंद हो गए थे. नोटबंदी के बाद से ही लगातार आरबीआई ने नोटों की गिनती करने में लगी हुई थी. नोटबंदी को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर रहा है. मोदी सरकार ने काले धन पर वार करने के लिए नोटबंदी की घोषणा की थी. इसको लेकर विपक्ष हमेशा हमलावर रहा. उनका कहना है कि नोटबंदी की वजह से काला धन तो वापस नहीं आया, लेक‍िन इससे आम आदमी को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा. वहीं, सरकार हमेशा इसे सफल बताती रही है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि नोटबंदी के दौरान बंद हुए लगभग सभी पुराने नोट वापस आ चुके हैं. आरबीआई ने बुधवार को अपनी एनुअल जनरल रिपोर्ट जारी की है. इसमें उसने कहा है कि कुल 99.30 फीसदी 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट वापस आ चुके हैं. आरबीआई की एनुअल रिपोर्ट …

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साल 2017-18 में खाद्यान्न उत्पादन 285 मिलियन टन होने का अनुमान

कृषि मंत्रालय के अनुसार जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2017-18 में भारत का खाद्यान्न उत्पादन बढ़कर 28 करोड़ 48 लाख 30 हजार टन के नए रिकार्ड स्तर तक पहुंचने का अनुमान है. यह अब तक का सबसे ज्यादा खाद्यान्न उत्पादन है. मानसून सामान्य रहने के बाद गेहूं, चावल, मोटे अनाज और दालों का रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है. मंत्रालय ने कहा कि फसल वर्ष 2017-18 में गेहूं का उत्पादन 9.97 करोड़ टन, चावल 11 करोड़ 29 लाख टन और दाल उत्पादन दो करोड़ 52 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है. कुल खाद्यान्न उत्पादन में 53 लाख टन की वृद्धि पिछला रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन फसल वर्ष 2016-17 में 27 करोड़ 51 लाख टन हुआ था. खाद्यान्नों में चावल, गेहूं, मोटे अनाज और दालें शामिल हैं. कृषि मंत्रालय के जारी चौथे अग्रिम अनुमान में, मंत्रालय ने फसल वर्ष 2017-18 के लिए 27 करोड़ 95 लाख 10 हजार टन के पिछले अनुमान को संशोधित कर कुल खाद्यान्न उत्पादन में 53 लाख टन की वृद्धि की है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'मॉनसून 2017 सामान्य रहने और सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न नीतिगत पहलों से देश ने 2017-18 में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन की स्थिति को देखा है.' गेहूं उत्पादन अनुमान बढ़ाया गया फसल वर्ष 2017-18 में गेहूं उत्पादन अनुमान को 10.6 लाख टन बढ़ाकर नौ करोड़ 97 लाख टन किया गया है. वर्ष 2016-17 में गेहूं का उत्पादन नौ करोड़ 85 लाख टन रहा था. इसी तरह, वर्ष 2017-18 के लिए चावल उत्पादन अनुमान 13.9 लाख टन बढ़ाकर रिकॉर्ड 11 करोड़ 29 लाख टन किया गया है. यह फसल वर्ष 2016-17 के 10.97 करोड़ टन के उत्पादन के मुकाबले कहीं अधिक है. वर्ष 2017-18 के लिए मोटे अनाज का उत्पादन अनुमान 21.2 लाख टन बढ़ाकर रिकॉर्ड चार करोड़ 70 लाख टन किया गया है. यह उत्पादन अनुमान वर्ष 2016-17 के दौरान चार करोड़ 38 लाख टन के उत्पादन से अधिक है. वर्ष 2017-18 के दौरान दालों का उत्पादन अनुमान दो करोड़ 52 लाख टन होने का लगाया गया है, और इस तरह पिछले अनुमान में 7.2 लाख टन की वृद्धि हुई है. पिछले वर्ष यह उत्पादन दो करोड़ 31 लाख टन था. फसल वर्ष 2017-18 के लिए तिलहन उत्पादन अनुमान को बढ़ाकर तीन करोड़ 13 लाख टन किया गया है, जो पिछले वर्ष के तीन करोड़ 13 लाख टन के उत्पादन से मामूली अधिक है. मंत्रालय फसल वृद्धि के विभिन्न चरणों में खाद्यान्न उत्पादन के कुल पांच अनुमान जारी करता है. वर्ष 2017-18 के लिए अंतिम अनुमान 2018-19 के नए साल के लिए पहले अनुमान के साथ जारी किया जाएगा. मौजूदा समय में खरीफ बुवाई चल रही है

कृषि मंत्रालय के अनुसार जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2017-18 में भारत का खाद्यान्न उत्पादन बढ़कर 28 करोड़ 48 लाख 30 हजार टन के नए रिकार्ड स्तर तक पहुंचने का अनुमान है. यह अब तक का सबसे ज्यादा खाद्यान्न उत्पादन है. मानसून सामान्य रहने के बाद गेहूं, चावल, …

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शेयर बाजार की सपाट शुरुआत, सेंसेक्स ने बनाया नया रिकॉर्ड, निफ्टी 11745 पर खुला

अगस्त फ्यूचर एंड ऑप्शंस एक्सपायरी के पहले बुधवार को घरेलू शेयर बाजार की सपाट शुरुआत हुई. सेंसेक्स 93 अंकों की उछाल के साथ 38,989.65 के स्तर पर खुला. यह सेंसेक्स का नया रिकॉर्ड हाई रहा. वहीं, निफ्टी की शुरुआत 6 अंक की बढ़त के साथ 11,745 के स्तर पर हुई. कारोबार के दौरान निफ्टी ने 11,753.20 के स्तर तक पहुंचा, वह अपने नए रिकॉर्ड से महज 8 अंक दूर है. एनएसई पर सेक्टोरल इंडेक्स में बैंकिंग, ऑटो, मेटल और रियल्टी में तेजी दिख रही है। वहीं एचडीएफसी, RIL, एसबीआई, कोटक बैंक, मारुति में बढ़त से बाजार को सपोर्ट मिला है। सेंसेक्स ने बनाया नया रिकॉर्ड हाई - 29 अगस्त को सेंसेक्स पहली बार 38,989.65 के स्तर पर खुला. यह सेंसेक्स का नया रिकॉर्ड हाई रहा. - 28 अगस्त को सेंसेक्स पहली बार 38,896 के स्तर पर बंद हुआ. - 28 अगस्त को सेंसेक्स ने पहली बार 38,920.14 का नया रिकॉर्ड हाई बनाया. - 27 अगस्त को सेंसेक्स ने पहली बार 38,736.88 के स्तर को छुआ. वहीं, 38694 के स्तर पर बंद हुआ - 27 अगस्‍त को सेंसेक्‍स 259.42 अंकों के उछाल के साथ 38,511.22 अंक के रिकॉर्ड स्तर पर खुला. - 23 अगस्त को सेंसेक्स 38,487.63 के नए ऊपरी स्तर तक पहुंचा. - 21 अगस्त को सेंसेक्स ने पहली बार 38,400 के स्तर को पार किया और 38402.96 का ऑलटाइम हाई बनाया था. - 20 अगस्त को सेंसेक्स ने 38340.69 के स्तर को छुआ था. - 09 अगस्त को सेंसेक्स 38,076.23 के ऑलटाइम हाई स्तर पर पहुंचा था. - 08 अगस्त को सेंसेक्स ने 37,931.42 के स्तर तक दस्तक दी थी. - 07 अगस्त को सेंसेक्स ने 37,876.87 का स्तर टच किया था. - 06 अगस्त को सेंसेक्स ने 37,805.25 का ऑलटाइम हाई बनाया था. - 01 अगस्त को सेंसेक्स ने 37,711.87 के स्तर तक दस्तक दी थी. निफ्टी भी नई ऊंचाई पर खुला - 29 अगस्त को निफ्टी पहली बार 11,745 के स्तर पर खुला. यह उसका ओपनिंग हाई रहा. हालांकि, निफ्टी का रिकॉर्ड हाई 11,760.20 का है. - 28 अगस्त को निफ्टी पहली बार 11,738 के स्तर पर बंद हुआ. - 28 अगस्त को निफ्टी ने पहली बार 11,756.05 का नया रिकॉर्ड हाई बनाया. - 27 अगस्त को निफ्टी ने 11,700.95 के स्तर को टच किया. - 27 अगस्त को निफ्टी ने 11,605.85 के स्तर को पर खुला था. - 23 अगस्त को निफ्टी पहली बार 11,600 के पार हुआ और 11,620.70 के स्तर तक दस्तक दी. - 21 अगस्त को निफ्टी ने 11,581.75 के नए स्तर को छुआ था. - 20 अगस्त को निफ्टी ने पहली बार 11,500 के स्तर को पार किया और 11,565.30 के रिकॉर्ड हाई पर गया था. - 09 अगस्त को निफ्टी 11,495.20 के ऑलटाइम हाई पर गया था. - 08 अगस्त को निफ्टी ने 11,459.95 की नई ऊंचाई को छुआ. - 07 अगस्त को निफ्टी ने 11428.95 का स्तर टच किया था. - 06 अगस्त को निफ्टी पहली बार 11,400 के स्तर को पार करने में कामयाब हुआ था. तब निफ्टी ने 11,427.65 का ऑलटाइम हाई बनाया था. - 01 अगस्त 2018 को निफ्टी ने 11,390.55 की नई ऊंचाई पर पहुंचा था. मिडकैप- स्मॉलकैप शेयरों में बढ़त कारोबार के दौरान मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में बढ़त दिख रही है. बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 0.50 फीसदी बढ़ा है, जबकि निफ्टी मिडकैप इंडेक्स 0.48 फीसदी चढ़ा है. बीएसई का स्मॉलकैप इंडेक्स 0.43 फीसदी उछला है. किन शेयरों मे तेजी, किनमें गिरावट दिग्गज शेयरों में एचडीएफसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, वेदांता, सन फार्मा, कोटक बैंक, एसबीआई, एक्सिस बैंक, मारुति 0.51 से 2.58 फीसदी तक चढ़े हैं. हालांकि, कोल इंडिया, इंफोसिस, टीसीएस, पावरग्रिड, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईटीसी, एचयूएल 2.17 से 0.03 फीसदी तक गिरे हैं.

अगस्त फ्यूचर एंड ऑप्शंस एक्सपायरी के पहले बुधवार को घरेलू शेयर बाजार की सपाट शुरुआत हुई. सेंसेक्स 93 अंकों की उछाल के साथ 38,989.65 के स्तर पर खुला. यह सेंसेक्स का नया रिकॉर्ड हाई रहा. वहीं, निफ्टी की शुरुआत 6 अंक की बढ़त के साथ 11,745 के स्तर पर हुई. …

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