धर्म

देवशयनी एकादशी पर ऐसे मिलेगा फल

हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है जिसमें देव चार माह के विश्राम के लिए चले जाते हैं और उन चार महीनों में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता. इस वर्ष 23 जुलाई को यह एकादशी मनाई जाएगी जिसमें भगवान श्री हरि विष्णु क्षीर-सागर में शयन करते हैं और ये विश्राम उनका कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है. उसके बाद भगवान निद्रा से जागते हैं जिसके बाद सभी मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं. इन चार महीने के वास चातुर्मास कहा जाता है. आइये बता देते हैं इस व्रत को करने का क्या फल मिलता है और क्या करना चाहिए इस व्रत पर. देवशयनी एकादशी पर इन चीज़ों का रखें ध्यान * देवशयनी एकादशी को सुबह जल्दी उठे और घर को स्वच्छ करें और उसके बाद आप घर में पवित्र जल छिड़कें. * घर के पूजा मन्दिर में श्री हरि विष्णु की सोने, चाँदी, तांबे अथवा पीतल की मूर्ति की स्थापना करें. * भगवान को शुद्ध जल से स्नान करा कर उन्हें वस्त्र से विभूषित करें. चातुर्मास में करें खाने की इन चीज़ों का त्याग * पूजा करके कथा सुनें और आरती के बाद प्रसाद वितरण करें * अंत में सफेद चादर से ढंके गद्दे-तकिए वाले पलंग पर श्री विष्णु को शयन कराना चाहिए. इसी तरह भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें क्षीर सागर के लिए प्रस्थान कराएं और चार्तमास के लिए विश्राम करने के लिए छोड़. इस व्रत को करने से आपको सभी प्रकार के पुण्य मिलते हैं और कई पापों से मुक्ति मिलती है.

हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है जिसमें देव चार माह के विश्राम के लिए चले जाते हैं और उन चार महीनों में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता. इस वर्ष 23 जुलाई को यह एकादशी मनाई जाएगी जिसमें भगवान …

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आज है आशा दशमी जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचग के अनुसार 22 जुलाई 2018 को आशा दशमी मानी जा रही है जिसमें महिलाएं व्रत रखकर सभी आशाओं की पूर्ति करती हैं. जी हाँ, जैसा कि ये नाम से ही समझ में आ रहा है कि ये व्रत सभी आशाओं को पूरा करने वाला है. हिन्दू पंचांग के अनुसार आज की तिथि हर तरह से शुभ है और दिन का हर समय अगर शुभ है तो इस घड़ी में किया गया काम हर तरह से शुभ ही माना जा रहा है. इस घड़ी में आप जो भी कार्य करेंगे वो शुभ फल देने वाले होंगे. लेकिन इस बीच आपको ये ध्यान रखना होगा कि आज की तिथि में कौनसा काम किस मुहूर्त में किया जा रहा है. आज हम आशा दशमी के भी शुभ मुहूर्त को बताने जा रहे हैं आपके व्रत को फलित करने के लिए शुभ माने जायेंगे. वैसे तो हर शुभ काम के लिए शुभ मुहूर्त निकलवाना ही पड़ता है उसी तरह आज आशा दशमी का शुभ मुहूर्त हम आपको बता देते हैं जो आपके लिए भी सही रहेगा. तो पंडित के अनुसार - सभी आशाओं को पूरा करेगा ये अनोखा व्रत तारीख – 22 जुलाई 2018 दिन – रविवार हिंदी महीना – आषाढ़ तिथि – शुक्ल पक्ष, दशमी – 14:48 तक योग – शुभ – 07:16 तक सूर्य और चंद्र की गणनाएं सूर्योदय – 05:24 बजे सूर्यास्त – 18:44 बजे चंद्र राशि – वृश्चिक चन्द्रास्त – 01:39 बजे इसमें आपको सबसे खास ध्यान रखना है तो वो है शुभ मुहूर्त का - 22 जुलाई 2018 का शुभ समय (शुभ मुहूर्त) आज का शुभ मुहूर्त समय – 11:58 से 12:54 तक इस बीच आप कभी भी पूजा पाठ कर सकते हैं व्रत को फलित कर सकते हैं. इसके अलावा आज का व्रत आशा दशमी है और आज का त्यौहार है गिरिजा पूज.

हिन्दू पंचग के अनुसार 22 जुलाई 2018 को आशा दशमी मानी जा रही है जिसमें महिलाएं व्रत रखकर सभी आशाओं की पूर्ति करती हैं. जी हाँ, जैसा कि ये नाम से ही समझ में आ रहा है कि ये व्रत सभी आशाओं को पूरा करने वाला है. हिन्दू पंचांग के …

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आखिर क्यों भगवान शिव ने पार्वती को सुनाई थी अमरकथा?

भगवान शिव से जुड़े आज तक आपने कई चमत्कारों के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको भगवान शिव का एक ऐसा चमत्कार बताने जा रहे हैं जिसे आपने आज तक नहीं सुना होगा. अमरनाथ की पवित्र गुफा की अमरकथा के बारे में कई सारी बातें की जाती है लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आखिर क्यों भगवान शिव ने पार्वती को यह कथा सुनाई थी, दरअसल इसके पीछे एक गहरा रहस्य है. आज इस राशि के लोगों को मिल सकता हैं लाभ पार्वती का पहला जन्म दक्ष की पुत्री के रूप में हुआ था इसके बाद सती ने ही दूसरा जन्म हिमालयराज के यहां पार्वती के रूप में लिया. एक बार पार्वती जी ने शंकरजी के गले में नरमुंड माला के रहस्य के बारे में जानने की कोशिश की. उन्होंने भगवान शिव से पूछा कि आपके गले में नरमुंड माला क्यों है?’ गुरुपूर्णिमा पर ऐसे करें अपने कुंडली दोष मुक्त इस दौरान भगवान शिव ने पार्वती से कहा कि जितनी बार तुम्हारा जन्म हुआ है उतने ही मुंड मैंने धारण किए हैं. इसके बाद पार्वती ने कहा कि मेरा शरीर नाशवान है, मृत्यु को प्राप्त होता है, परंतु आप अमर हैं. इसके बाद पार्वती ने भी इस रहस्य को जानने की कोशिश की. शिव के मना करने के बावजूद पार्वती जिद पर अड़ी रही और फिर भगवान शिव ने पार्वती को इस रहस्य के बारे में बताने का फैसला कर लिया. आज है आशा दशमी जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त इस दौरान शिव ने कहा कि अमरकथा सुनाते वक्त कोई अन्य जीव इस कथा को न सुने इसीलिए भगवान शिव पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, वायु, आकाश और अग्रि) का परित्याग करके इन पर्वतमालाओं में पहुंच गए और अमरनाथ गुफा में भगवती पार्वतीजी को अमरकथा सुनाने लगे.

भगवान शिव से जुड़े आज तक आपने कई चमत्कारों के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको भगवान शिव का एक ऐसा चमत्कार बताने जा रहे हैं जिसे आपने आज तक नहीं सुना होगा. अमरनाथ की पवित्र गुफा की अमरकथा के बारे में कई सारी बातें की जाती है …

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सावन 16 सोमवार में भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न

श्रावण का महीना आने में है और सभी इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं. इस महीने से सभी व्रत, तीज और त्यौहार शुरू हहो जाते हैं. ये तो आप जानते हैं भोलेनाथ को प्रसन्न करना काफी आसान है. कहते है भगवान शिव सिर्फ एक बिल्व पत्र से ही खुश हो जाते हैं. अगर पूरे महीने आप भगवान शिव को बिल्व पत्र अर्पित करने से आपकी मनोकामना पूरी होती है. सावन का महीना 27 जुलाई से शुरू हो रहा है लेकिन इसे 28 जुलाई से माना जायेगा. वहीं बता दें 30 जुलाई को इसका पहला सोमवार होगा जो शिवभक्तों के लिए बेहद ही खास होता है. अविवाहित लडकियां खासकर अपने मनचाहे वर के लिए ये व्रत करती हैं और भगवान से वरदान प्राप्त करती हैं. इसी के साथ कई लोग सावन में ही सोलह सोमवार का आरम्भ भी करते हैं. इसमें आपको कैसे पूजा पाठ करना है ये हम आपको बताने जा रहे हैं. एक मंदिर जहां हैं 30 हज़ार नाग करते हैं मनोरथ पूरे अगर आप सोहलाह सोमवार का व्रत कर रहे हैं तो सबसे पहले - सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें और साथ ही पूजा स्थान की सफाई करें. घर के पास कोई शिवमंदिर हो तो वहां जा कर भगवान शिव को दूध और बिल्व पत्र अर्पित करें और साथ ही मन ही मन व्रत का संकल्प लें. इतना ही भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना सुबह और शाम करने से मनवांछित फल मिलता है. यहां है भगवान शिव का ससुराल जहां सावन में करते हैं वास भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया जलना चाहिए और ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. पूजा करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं. जब भी पूजा करने बैठे भगवान सोमवार व्रत कथा का पाठ करें इसी के बाद प्रसाद वितरण करें और शाम को पूजा कर व्रत खोलें. इस विधि से आप भगवान शिव की आराधना कर सकते हैं और उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं.

श्रावण का महीना आने में है और सभी इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं. इस महीने से सभी व्रत, तीज और त्यौहार शुरू हहो जाते हैं. ये तो आप जानते हैं भोलेनाथ को प्रसन्न करना काफी आसान है. कहते है भगवान शिव सिर्फ एक बिल्व पत्र से ही खुश हो …

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बेलपत्र के अलावा भी ये पत्ते हैं भगवान शिव को बेहद प्रिय

बेलपत्र के अलावा भी ये पत्ते हैं भगवान शिव को बेहद प्रिय

सावन का महीना आने को है और सभी लोग इस महीने की तैयारी बड़ी जोरों-शोरों से कर रहे हैं, क्योंकि यह महीना भगवान शिव का सबसे अधिक प्रिय होता हैं. इस महीने में भगवान शिव की खास तरीके से पूजा की जाती है और उनकी मनपसंद की चीजों का भोग …

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यहां है भगवान शिव का ससुराल जहां सावन में करते हैं वास

सावन का महीना शुरू होने वाला है इसी अवसर पर हम आपको बता देते हैं भगवान शिव के ससुराल के बारे में जिसके बारे में कई लोग नहीं जानते होंगे. भगवान शिव और माता सती की कथा तो सभी जानते हैं. नहीं जानते हैं तो आइये बता देते हैं उस कथा के बारे में और कहाँ है ये मंदिर जहां पर एक महीने तक भगवान शिव वास करते हैं. बता दें, हरिद्वार के समीप बसे कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर है. ये मंदिर माता सती के पिता दक्ष प्रजापति के नाम पर है लेकिन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. विडियो :- 30 जुलाई को होगा सावन का पहला सोमवार, ऐसे करें पूजा माता सती के भस्म होने की कथा सभी अच्छे से जानते हैं. उन्होंने भगवान शिव से अपने पिता की आज्ञा के विरुद्ध विवाह किया था जिसके चलते दक्ष ने उन्हें और भगवान शिव को विराट यज्ञ का निमंत्रण नहीं भेजा. भगवान शिव के मना करने पर भी सती अपने पिता के घर चली गई और जब बिना निमंत्रण के सती वहां पहुंची तो दक्ष ने उनका और भगवान शिव का काफी अपमान किया जिसके चलते सती ने स्वयं की ज्वाला से खुद को भस्म कर लिया. जब इसका ज्ञान भगवान शिव को हुआ तो उन्होंने क्रोध में आकर दक्ष का सिर काट दिया. लेकिन बाद में क्षमा मांगने पर भगवान शिव ने उन्हें बकरे का सिर लगाया और क्षमा किया. वैदिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव श्रावण मास में अपनी ससुराल कनखल में पूरे एक माह तक रहते हैं. इतना ही नहीं भगवान शिव के साथ सभी पृथ्वी पर आ जाते हैं और उनके साथ ही वास करते हैं. इस मंदिर में आप देख सकते हैं, यज्ञ कुण्ड मंदिर में अपने स्थान पर ही स्थापित है जिसे सती कुंड कहा जाता है. मंदिर के समीप गंगा किनारे ‘दक्षा घाट‘ है, जहां मंदिर में आने वाले श्रद्धालु स्नान करते हैं. इतना ही नहीं इस मंदिर में भगवान शिव की बड़ी सी मूर्ति भी है जिसमें उनके हाथों में माता सती भी है. सावन सोमवार में करें ये काम नहीं होंगे भोले नाराज़

सावन का महीना शुरू होने वाला है इसी अवसर पर हम आपको बता देते हैं भगवान शिव के ससुराल के बारे में जिसके बारे में कई लोग नहीं जानते होंगे. भगवान शिव और माता सती की कथा तो सभी जानते हैं. नहीं जानते हैं तो आइये बता देते हैं उस …

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सावन के हर मंगलवार करना चाहिए मंगला गौरी का व्रत

सावन माह 27 जुलाई से शुरू होने वाले हैं जिसमें सभी भगवान शिव की आराधना शुरू कर देते हैं और पूरे महीने उनकी पूजा पाठ कर के अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. कहा जाता है सावन का महीना पूरा भगवान शिव का होता है जिसमें खास तौर पर इनकी ही पूजा की जाती है. लेकिन आपको बता दें सिर्फ भगवान शिव ही नहीं बल्कि माता पार्वती का भी महीना होता है जिसमें आप भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती को भी पूजते हैं. जी हाँ, अगर नहीं जानते तो आइये हम बता देते हैं. विडियो :- 30 जुलाई को होगा सावन का पहला सोमवार, ऐसे करें पूजा वैसे तो पूरा महीना ही शिवजी का होता है लेकिन सोमवार शिवपूजन के लिए हम खास मानते हैं. उसी तरह मंगलवार को माता पार्वती का दिन होता है जिसे मंगला गौरी के नाम से जाना जाता है. कथाओं की मानें तो अगर ये व्रत अव‍िवाहित कन्‍याएं पूरे योग के साथ करती हैं तो उनकी शादी के उनके बढ़ते हैं साथ ही पति की उम्र भी बढ़ती है. इसके अलावा शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए ये व्रत करती हैं ताकि उनकी सेहत भी ठीक रहे. अगर आप इस व्रत को रखना चाहती हैं तो चलिए जानते हैं उसके विधि विधान. जानिए कब शुरू हो रहा श्रावण मास, कितने होंगे सोमवार इस व्रत को रखने के ल‍िए सावन के हर मंगलवार को सुबह जल्‍दी उठकर स्नान करें और साफ़ वस्त्र धारण करें. इसके बाद माता पार्वती के मूर्ति या फोटो लगा कर उनकी पूजा करें. फोटो को चौकी पर सफेद या लाल साफ कपड़े पर रखकर विधि से पूजन करें. इस दौरान आप ध्यान रखें कि माता को 16 की संख्या बहुत पसंद है. इसलिए जब भी उन्हें कुछ अर्पित करें तो 16 की संख्या में ही करें. जैसे 16 बत्‍त‍ियों वाला दीपक 16 चीजों का भोग लगाना और 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करना चाहिए. एक मंदिर जहां हैं 30 हज़ार नाग करते हैं मनोरथ पूरे मंगला गौरी व्रत खासतौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और बिहार में प्रचल‍ित है. लेकिन इस व्रत की तारीखें हर जगह अलग होती हैं. सावन के पहले दिन से ही आप व्रत की शुरुआत कर सकते हैं और हर मंगलवार को माँ पार्वती का पूजन कर सकते हैं.

सावन माह 27 जुलाई से शुरू होने वाले हैं जिसमें सभी भगवान शिव की आराधना शुरू कर देते हैं और पूरे महीने उनकी पूजा पाठ कर के अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. कहा जाता है सावन का महीना पूरा भगवान शिव का होता है जिसमें खास तौर पर इनकी ही …

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सावन 16 सोमवार में भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न

श्रावण का महीना आने में है और सभी इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं. इस महीने से सभी व्रत, तीज और त्यौहार शुरू हहो जाते हैं. ये तो आप जानते हैं भोलेनाथ को प्रसन्न करना काफी आसान है. कहते है भगवान शिव सिर्फ एक बिल्व पत्र से ही खुश हो जाते हैं. अगर पूरे महीने आप भगवान शिव को बिल्व पत्र अर्पित करने से आपकी मनोकामना पूरी होती है. सावन का महीना 27 जुलाई से शुरू हो रहा है लेकिन इसे 28 जुलाई से माना जायेगा. वहीं बता दें 30 जुलाई को इसका पहला सोमवार होगा जो शिवभक्तों के लिए बेहद ही खास होता है. अविवाहित लडकियां खासकर अपने मनचाहे वर के लिए ये व्रत करती हैं और भगवान से वरदान प्राप्त करती हैं. इसी के साथ कई लोग सावन में ही सोलह सोमवार का आरम्भ भी करते हैं. इसमें आपको कैसे पूजा पाठ करना है ये हम आपको बताने जा रहे हैं. एक मंदिर जहां हैं 30 हज़ार नाग करते हैं मनोरथ पूरे अगर आप सोहलाह सोमवार का व्रत कर रहे हैं तो सबसे पहले - सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें और साथ ही पूजा स्थान की सफाई करें. घर के पास कोई शिवमंदिर हो तो वहां जा कर भगवान शिव को दूध और बिल्व पत्र अर्पित करें और साथ ही मन ही मन व्रत का संकल्प लें. इतना ही भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना सुबह और शाम करने से मनवांछित फल मिलता है. यहां है भगवान शिव का ससुराल जहां सावन में करते हैं वास भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया जलना चाहिए और ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. पूजा करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं. जब भी पूजा करने बैठे भगवान सोमवार व्रत कथा का पाठ करें इसी के बाद प्रसाद वितरण करें और शाम को पूजा कर व्रत खोलें. इस विधि से आप भगवान शिव की आराधना कर सकते हैं और उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं.

श्रावण का महीना आने में है और सभी इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं. इस महीने से सभी व्रत, तीज और त्यौहार शुरू हहो जाते हैं. ये तो आप जानते हैं भोलेनाथ को प्रसन्न करना काफी आसान है. कहते है भगवान शिव सिर्फ एक बिल्व पत्र से ही खुश हो …

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यहां है भगवान शिव का ससुराल जहां सावन में करते हैं वास

सावन का महीना शुरू होने वाला है इसी अवसर पर हम आपको बता देते हैं भगवान शिव के ससुराल के बारे में जिसके बारे में कई लोग नहीं जानते होंगे. भगवान शिव और माता सती की कथा तो सभी जानते हैं. नहीं जानते हैं तो आइये बता देते हैं उस कथा के बारे में और कहाँ है ये मंदिर जहां पर एक महीने तक भगवान शिव वास करते हैं. बता दें, हरिद्वार के समीप बसे कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर है. ये मंदिर माता सती के पिता दक्ष प्रजापति के नाम पर है लेकिन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. विडियो :- 30 जुलाई को होगा सावन का पहला सोमवार, ऐसे करें पूजा माता सती के भस्म होने की कथा सभी अच्छे से जानते हैं. उन्होंने भगवान शिव से अपने पिता की आज्ञा के विरुद्ध विवाह किया था जिसके चलते दक्ष ने उन्हें और भगवान शिव को विराट यज्ञ का निमंत्रण नहीं भेजा. भगवान शिव के मना करने पर भी सती अपने पिता के घर चली गई और जब बिना निमंत्रण के सती वहां पहुंची तो दक्ष ने उनका और भगवान शिव का काफी अपमान किया जिसके चलते सती ने स्वयं की ज्वाला से खुद को भस्म कर लिया. जब इसका ज्ञान भगवान शिव को हुआ तो उन्होंने क्रोध में आकर दक्ष का सिर काट दिया. लेकिन बाद में क्षमा मांगने पर भगवान शिव ने उन्हें बकरे का सिर लगाया और क्षमा किया. वैदिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव श्रावण मास में अपनी ससुराल कनखल में पूरे एक माह तक रहते हैं. इतना ही नहीं भगवान शिव के साथ सभी पृथ्वी पर आ जाते हैं और उनके साथ ही वास करते हैं. इस मंदिर में आप देख सकते हैं, यज्ञ कुण्ड मंदिर में अपने स्थान पर ही स्थापित है जिसे सती कुंड कहा जाता है. मंदिर के समीप गंगा किनारे ‘दक्षा घाट‘ है, जहां मंदिर में आने वाले श्रद्धालु स्नान करते हैं. इतना ही नहीं इस मंदिर में भगवान शिव की बड़ी सी मूर्ति भी है जिसमें उनके हाथों में माता सती भी है. सावन सोमवार में करें ये काम नहीं होंगे भोले नाराज़

सावन का महीना शुरू होने वाला है इसी अवसर पर हम आपको बता देते हैं भगवान शिव के ससुराल के बारे में जिसके बारे में कई लोग नहीं जानते होंगे. भगवान शिव और माता सती की कथा तो सभी जानते हैं. नहीं जानते हैं तो आइये बता देते हैं उस …

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तूफान भी नहीं बदल पाते जगन्नाथ मंदिर की ध्वजा का रुख़

उड़ीसा के पुरी में मौजूद जगन्नाथ मंदिर कई गहरे रहस्यों से भरा हुआ मंदिर है. इस मंदिर के चमत्कारों के बारे में जितनी बात की जाए उतनी कम है. अपने रहस्यों और चमत्कारों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में इन दिनों लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई हैं. गौरतलब है कि इन दिनों में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का भव्य आयोजन किया जाता है जिसमें लाखों संख्या में लोग मौजूद रहते हैं. वर्षो से चली आ रही परम्परा के अनुसार हर वर्ष इस भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है. आज हम आपको जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा एक और गहरा रहस्य बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद ही किसी ने सुना होगा. इस मंदिर की चोटी पर लहराती ध्वजा के बारे में ऐसा कहा जाता है कि हवा अपना रुख बदल सकती है लेकिन इस मंदिर की ध्वजा अपना रुख कभी नहीं बदलती है यही नहीं बल्कि मंदिर की चोटी पर लहराता ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है. ऐसा कहा जाता है कि यहां दिन के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम में इसके उल्ट दिशा में हवा बहती है. लेकिन चमत्कार यह है कि मंदिर का ध्वज इसके ठीक विपरीत उल्टे दिशा में लहराता है और इसका रुख हवा भी नहीं बदल पाती है. माना गया है कि मंदिर में हवा दिन में समुद्र की ओर और रात में मंदिर की तरफ बहती है. इस मंदिर की एक और खास बात यह है कि मंदिर पर लगे सुदर्शन चक्र के दर्शन आप मंदिर परिसर में कहीं से भी खड़े होकर कर सकते हैं. जब भी आप इस सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो आपको मंदिर के हर परिसर से सुदर्शन चक्र आपके सामने ही दिखेगा. इस साल की रथ यात्रा 14 जुलाई से शुरू हो चुकी है जो पूरे 9 दिन तक चलने वाली है.

उड़ीसा के पुरी में मौजूद जगन्नाथ मंदिर कई गहरे रहस्यों से भरा हुआ मंदिर है. इस मंदिर के चमत्कारों के बारे में जितनी बात की जाए उतनी कम है. अपने रहस्यों और चमत्कारों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में इन दिनों लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई …

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