धर्म

हर शाम बदला जाता है जगन्नाथ मंदिर का ध्वज

हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा होती है और इस यात्रा के पीछे कई रहस्य और तथ्य भी हैं जिन्हें आप सभी जानते ही होंगे. इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होने वाली है जिसका बहुत महत्व होता है और इस यात्रा में दूर-दूर से लोग आ कर सम्मिलित होते हैं. भगवान जगन्नाथ और उनके मंदिर से जुडी कई बातें हैं जिनका अपने आप में एक महत्व है लेकिन उनके अलावा कई और चीज़ें हैं जो इस रथ यात्रा से ताल्लुक रखती हैं. इसके अलावा एक और ऐसा काम है जो हर शाम को किया जाता है. आपको बता दें मंदिर के गुंबद पर लगा ध्वज हर शाम को बदला जाता है. इसके पीछे का भी कारण है जिसे हम बता देते हैं. जानकारी के अनुसार, इस ध्वज से जुड़ी एक रहस्यमय बात यह भी है कि यह हवा के विपरीत दिशा में उड़ता है. जिस दिशा में हवा चलती उसकी उलटी दिशा में ये झंडा लहराता है. यह झंडा 20 फीट का तिकोने आकार का होता है जिसे बदलने का जिम्मा एक चोला परिवार पर है. ये जानकर आपको हैरानी होगी कि ये परम्परा 800 सालों से चली आ रही है. इस पर ये कहा जा रहा है कि अगर झंडा रोज़ ना बदला जाए तो मंदिर 18 सालों के लिए अपने आप बंद हो जायेगा. आप देख सकते हैं मंदिर के शिकार पर एक सुदर्शन चक्र भी है जो दूर से ही दिखाई देता है. इस चक्र की खास बात ये है कि इसे जहां से भी देखो वो आपको अपनी ओर ही दिखाई देगा. इस मंदिर के झंडे को बदलने के लिए एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर जंजीरों के सहारे चढ़ता है. उससे पहले वह नीचे अग्नि जलाता है और धीरे-धीरे मंदिर के गुंबद तक पहुंच कर पुराने ध्वज को हटाकर नए ध्वज को लगा देता है. चाहे जैसा भी मौसम हो इस झंडे को बदलने का रिवाज है जिसे हर रज बदलना होता है.हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा होती है और इस यात्रा के पीछे कई रहस्य और तथ्य भी हैं जिन्हें आप सभी जानते ही होंगे. इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होने वाली है जिसका बहुत महत्व होता है और इस यात्रा में दूर-दूर से लोग आ कर सम्मिलित होते हैं. भगवान जगन्नाथ और उनके मंदिर से जुडी कई बातें हैं जिनका अपने आप में एक महत्व है लेकिन उनके अलावा कई और चीज़ें हैं जो इस रथ यात्रा से ताल्लुक रखती हैं. इसके अलावा एक और ऐसा काम है जो हर शाम को किया जाता है. आपको बता दें मंदिर के गुंबद पर लगा ध्वज हर शाम को बदला जाता है. इसके पीछे का भी कारण है जिसे हम बता देते हैं. जानकारी के अनुसार, इस ध्वज से जुड़ी एक रहस्यमय बात यह भी है कि यह हवा के विपरीत दिशा में उड़ता है. जिस दिशा में हवा चलती उसकी उलटी दिशा में ये झंडा लहराता है. यह झंडा 20 फीट का तिकोने आकार का होता है जिसे बदलने का जिम्मा एक चोला परिवार पर है. ये जानकर आपको हैरानी होगी कि ये परम्परा 800 सालों से चली आ रही है. इस पर ये कहा जा रहा है कि अगर झंडा रोज़ ना बदला जाए तो मंदिर 18 सालों के लिए अपने आप बंद हो जायेगा. आप देख सकते हैं मंदिर के शिकार पर एक सुदर्शन चक्र भी है जो दूर से ही दिखाई देता है. इस चक्र की खास बात ये है कि इसे जहां से भी देखो वो आपको अपनी ओर ही दिखाई देगा. इस मंदिर के झंडे को बदलने के लिए एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर जंजीरों के सहारे चढ़ता है. उससे पहले वह नीचे अग्नि जलाता है और धीरे-धीरे मंदिर के गुंबद तक पहुंच कर पुराने ध्वज को हटाकर नए ध्वज को लगा देता है. चाहे जैसा भी मौसम हो इस झंडे को बदलने का रिवाज है जिसे हर रज बदलना होता है.

हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा होती है और इस यात्रा के पीछे कई रहस्य और तथ्य भी हैं जिन्हें आप सभी जानते ही होंगे. इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होने वाली है जिसका बहुत महत्व होता है और इस यात्रा में दूर-दूर से लोग …

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गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन माँ को चढ़ाये यह फूल

आज गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन है और इस दिन माता तारा देवी की पूजा की जाती है. 9 दिन तक चलने वाले नवरात्रि में हर दिन माँ के नौ रूपों की पूजा की जाती है. माता तारा देवी को अमृतमयी दूध की शक्ति और महाविद्या की देवी माना गया है. अगर आप चाहते हैं कि माँ तारा देवी की आप पर हमेशा कृपा दृष्टि बनी रहे तो इसके लिए आपका एक जरा सा काम आपका हर कार्य सिद्ध कर सकता हैं. ऐसा बताया गया है कि माँ को चांदी के चीजें चढ़ाना अधिक शुभ माना गया है. अगर आप ऐसा करते हैं तो जल्द ही आपकी मुराद पूरी हो जाएगी. हालांकि माँ अपने भक्तों द्वारा चढ़ाई गई हर चीज से खुश रहती है, इसलिए अगर आप जो भी चढ़ाये उसे सच्चे मन से श्रद्धा के साथ चढ़ाये. जो उनको अच्छा लगे उन्हें उसी चीज का भोग लगाए. माता जी के लिए कोई भी उपहार आपकी किस्मत बदल सकता है. अगर आपके घर में आर्थिक समस्या आ रही है और आप बहुत परेशान हो चुके हैं तो इसके लिए आप तारा देवी की पूजनोपरांत लाल पुष्प चढाएं और उसके बाद इस फूल को तिजोरी में लाल कपड़े में करके रख लें. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके घर में कभी पैसों को कमी नहीं आएगी. इसके अलावा यह भी बताया गया है रात्रि में, तारों की पूजा करना भी श्रेष्ठ रहेगा. ध्यान रहे है कि रात के दस बजे के बाद पूजा नहीं की जाती है.

आज गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन है और इस दिन माता तारा देवी की पूजा की जाती है. 9 दिन तक चलने वाले नवरात्रि में हर दिन माँ के नौ रूपों की पूजा की जाती है. माता तारा देवी को अमृतमयी दूध की शक्ति और महाविद्या की देवी माना गया है. …

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आज से शुरू हुई भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

आज से यानी 14 जुलाई से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो रही है जिसमें शामिल होने दूर-दूर से लोग आते हैं और इस पल का लाभ लेते हैं. पुरी की ये यात्रा बहुत ही बड़ी यात्रा होती है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ विराजते हैं. बता दें, आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से ये यात्रा शुरू होती है. रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुण्डिच्चा मंदिर तक पहुंचती है और काफी बड़ी संख्या में श्रद्धालु इसमें शामिल होते हैं. इस यात्रा का काफी महत्व है और इसके पीछे कई सारे रहस्य भी जुड़े हुए हैं. रथ यात्रा के रूप में ये परम्परा काफी समय से चली आ रही है जिसके पीछे कुछ कथा भी है. कथा ये कहती है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ का जन्मदिन होता है जिस दिन उन्हें 108 कलशों से शाही स्नान करवाया जाता है जिसके बाद वो बीमार हो जाते हैं. स्वास्थ्य में सुधार पाने हेतु भगवान कई दिनों के लिए अपने कक्ष में चले जाते हैं जहां पर उनके निजी सेवक के अलावा कोई नहीं होता. कई दिनों के पश्चात् जब भगवान का स्वास्थ्य ठीक हो जाता है तब उन्हें नगर भ्रमण के लिए ले जाया जाता है. करीब 15 दिन बाद भगवान स्वस्थ होकर कक्ष से बाहर निकलते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं, जिसे नव यौवन नैत्र उत्सव भी कहते हैं. इसमें लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं और रथ को खींचने का काम करते हैं. कहा जाता है रथ को खींचने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी भक्त इसका भरपूर आनंद लेते हैं. तीनों भगवान के रथ को सजा कर उनमें भगवान की मूर्ति स्थापित करके उन्हें यात्रा पर ले जाया जाता है जो करीब 9 दिनों तक चलती है.

आज से यानी 14 जुलाई से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो रही है जिसमें शामिल होने दूर-दूर से लोग आते हैं और इस पल का लाभ लेते हैं. पुरी की ये यात्रा बहुत ही बड़ी यात्रा होती है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ …

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आखिर क्यों शेषनाग पर लेटे रहते हैं भगवान विष्णु?

आपने भगवान विष्णु की कई ऐसी तस्वीरें और मूर्ति देखी होगी जिसमे वह शेष शैय्या पर लेटे हुए रहते हैं और माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु के पैर दबाती दिखाई देती हैं. लेकिन क्या आप इसके पीछे का रहस्य जानते हैं अगर नहीं तो आज हम आपको बताएँगे कि भगवान विष्णु अक्सर शेष शैय्या पर क्यों लेटे रहते हैं. इस पूरी सृष्टि की रचना ब्रह्मा ने की लेकिन इसका संचालन करने की जिम्मेदारी भगवान विष्णु की मिली हैं. इसलिए भगवान विष्णु हमारे जीवन की जरूरत को पूरा करते हैं और धर्म की स्थापना भी करते हैं. भगवान विष्णु का शेषनाग की शैय्या पर लेटे रहने के पीछे का रहस्य हमारे जीवनकाल से जुड़ा हुआ है. शेषनाग के कई फनों की छाया में भगवान विष्णु का चेहरा अक्सर मुस्कुराता हुआ दिखाई देता हैं. इसका यह मतलब है कि घर के मुखिया पर कई जिम्मेदारियां होती है, लेकिन वह फिर भी उन सभी का दायित्व निभाते हुए मुस्कुराता रहता है. भगवान विष्णु का यह स्वरूप इस बात का संकेत देता है कि हमारे घर में कितनी भी परेशानी आ जाए लेकिन घर के मुखिया के चेहरे पर कभी उदासी नहीं आती है वह हमेशा ही आपने दुखों को छिपाकर अपने घर की जिम्मेदारी संभालते है जैसे भगवान विष्णु पूरी सृष्टि की जिम्मेदारी संभालते हैं. भगवान विष्णु के पैर दबाती माँ लक्ष्मी इस बात का संदेश देती हैं जो व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों का संचालन कुशलता पूर्वक करता है उसके परिवार में हमेशा खुशहाली रहती है. माँ लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता हैं और अगर घर की स्त्री भी अपने पति के हर रोज पैर दबाती है तो उनके घर में धन की कभी कमी नहीं होती है.

आपने भगवान विष्णु की कई ऐसी तस्वीरें और मूर्ति देखी होगी जिसमे वह शेष शैय्या पर लेटे हुए रहते हैं और माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु के पैर दबाती दिखाई देती हैं. लेकिन क्या आप इसके पीछे का रहस्य जानते हैं अगर नहीं तो आज हम आपको बताएँगे कि भगवान विष्णु …

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इसलिए सुनी जाती है सत्‍यनारायण व्रत कथा

हिन्दू धर्म के अनुसार सभी घरों में किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान सत्यनारायण की कथा कराई जाती है. लेकिन कभी अपने ये सोचा कि ऐसा क्यों होता है. अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे सत्यनारायण की कथा से जुडी कुछ ख़ास बातें और इस कथा का महत्व. शास्त्रों के मुताबिक ऐसा माना गया है कि जो भी इस कथा को सुनता है और व्यक्ति अगर व्रत रखता है तो उसके जीवन में आये सारे दुखों को श्री हरि विष्णु खुद हर लेते हैं और उसके जीवन को खुशहाल बना देते है. स्कन्द पुराण के मुताबिक भगवान सत्यनारायण श्री को भगवान् विष्णु का दूसरा रूप माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि इसी कथा को भगवान विष्णु ने देवर्षि नारद को अपने मुख से बताया था. खास बात यह है कि इस कथा को सुनने का सबसे शुभ दिन पूर्णिमा का दिन बताया गया है. ऐसा भी बताया गया है कि जो इस कथा को सुन नहीं पाते है वह पूर्णिमा को भगवान सत्यनारायण का मन में ध्यान कर लें. ऐसा करने से आपको हर काम में सफलता मिलेगी. पुराणों में ऐसा भी बताया गया है कि जिस स्थान पर भी श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है उस घर में गौरी-गणेश, नवग्रह, समस्त भगवान प्रवेश करते है और उस घर के सभी सदस्यों को परेशानी से दूर रखते है. सत्यनारायण की कथा कराने का उत्तम स्थान केले के पेड़ के नीचे अथवा घर के ब्रह्म स्थान पर बताया गया है.

हिन्दू धर्म के अनुसार सभी घरों में किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान सत्यनारायण की कथा कराई जाती है. लेकिन कभी अपने ये सोचा कि ऐसा क्यों होता है. अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे सत्यनारायण की कथा से जुडी कुछ ख़ास बातें और इस कथा …

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गुप्त नवरात्री में करें इन मंत्रों का जाप, माँ काली की होगी कृपा

सर्वकल्याण के लिए- सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥ * आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए- देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥ * बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिए- सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः। मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥ * सुलक्षणा पत्नी प्राप्ति के ‍‍‍लिए- पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्ग संसारसागस्य कुलोद्‍भवाम्।। * दरिद्रता नाश के लिए- दुर्गेस्मृता हरसि भतिमशेशजन्तो: स्वस्थैं: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दरिद्रयदुखभयहारिणी कात्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।। * ऐश्वर्य प्राप्ति एवं भय मुक्ति मंत्र- ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः। शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥ * विपत्तिनाशक मंत्र- शरणागतर्दिनार्त परित्राण पारायणे। सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥ * शत्रु नाश के लिए- ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्‍टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वाम् कीलय बुद्धिम्विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा।। * स्वप्न में कार्य-सिद्धि के लिए- दुर्गे देवी नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।। * सर्वविघ्ननाशक मंत्र- सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यस्यखिलेशवरी। एवमेय त्वया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्‌॥

आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्री शुरू होने वाली है जिसके लिए आप भी सभी तरह की तैयारी में लगे हुए होंगे. जानकारी ना हो तो बता दें, गुप्त नवरात्री 13 जुलाई से शुरू हो रही है. हिन्दू धर्म में गुप्त नवरात्री का काफी महत्व है. इसमें माँ दुर्गा के गुप्त …

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जगन्नाथ रथ यात्रा : इस जगह घूमे बगैर अधूरी रह जाएगी आपकी जगन्नाथ यात्रा

उड़ीसा स्थित जगन्नाथ पुरी में भगवान जगन्नाथ की निकलने वाली भव्य रथ यात्रा की तैयारी बड़े ही जोरों शोरों से चल रही है. हर साल की तरह इस साल भी बड़ी ही धूम धाम से जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाएगी जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहेंगे. बता दें कि इस साल रथ यात्रा की शुरुआत 14 जुलाई से होने वाली है जो पूरे 9 दिनों तक चलेगी. अगर आप भी इस रथ यात्रा में शामिल होना चाहते हैं और जगन्नाथ पुरी घूमने जाने के बारे में सोच रहे हैं तो उससे पहले आपको इन बातों को जान लेना चाहिए. आज हम आपको जगन्नाथ पुरी के कुछ ऐसे धाम बताने जा रहे हैं जिनके दर्शन किये बगैर आप लौटते हैं तो आपकी जगन्नाथ यात्रा अधूरी मानी जाती है. जगन्नाथ पुरी मंदिर के अलावा भी जगन्नाथ पुरी से 20 किलोमीटर दूर पुरी-भुवनेश्वर हाइवे पर साक्षी गोपाल मंदिर स्थित है. इस मंदिर में मौजूद देवता को साक्षी कहा जाता है. यहां मंदिर मन मोह लेने वाला मंदिर है. इसके बाद आता है चिलिका लेक, पुरी..यहां झील एशिया की सबसे बड़ी नमकीन पानी की झील है जो दिखने में बेहद ही खूबसूरत है. फिर आता है कोणार्क सूर्य मंदिर जो जगन्नाथ पुरी से लगभग 35 किलोमीटर दूर है. यह मंदिर वास्तुकला और नक्काशी के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. इसके बाद सबसे आखिरी में आता है पुरी बीच जहाँ पर बड़ी संख्या में लोग स्नान करने आते हैं. जब भी आप जगन्नाथ यात्रा पर जाए तो इन खूबसूरत जगहों पर जाना न भूले.

उड़ीसा स्थित जगन्नाथ पुरी में भगवान जगन्नाथ की निकलने वाली भव्य रथ यात्रा की तैयारी बड़े ही जोरों शोरों से चल रही है. हर साल की तरह इस साल भी बड़ी ही धूम धाम से जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाएगी जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहेंगे. बता दें …

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इस बार 8 दिन की होगी गुप्त नवरात्री, ऐसे करें घट स्थापना

आषाढ़ की नवरात्री को काफी खास माना जाता है. कहा जाता है इस नवरात्री में माँ दुर्गा की आराधना करने से सभी मनोकामना पूरी होती है. इस नवरात्री को गुप्त नवरात्री भी कहा जाता है जिसमें खास तौर पर माँ दुर्गा के गुप्त रूप काली की पूजा की जाती है. जी हाँ, इसमें खास तौर पर माँ काली की आराधना की जाती है और नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ रूप पूजे जाते हैं. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकम तिथि से नवरात्री शुरू होती है जो इस बार 13 जुलाई से होने वाली है जो 21 जुलाई तक चलेगी. इसके अलावा ज्योतिषियों के अनुसार प्रतिपदा की तिथि क्षय होने के कारण गुप्त नवरात्रि 8 दिन की रहेगी यानी 14 जुलाई से गुप्त नवरात्री का पहला दिन माना जायेगा. आप भी माँ दुर्गा के रूप में घट स्थापना कर सकते हैं जिसे नौ दिनों तक एक ही स्थान पर रखकर उनकी पूजा करनी होगी. हर एक दिन माँ दुर्गा के रूप को समर्पित होगा और उस खास दिन को आप उसी रूप में पूज सकते हैं. अगर आपके घर भी माँ दुर्गा विराजती हैं तो बता देते हैं उनकी स्थापना के शुभ मुहूर्त जिससे आपको भी याद रहेगा कौनसा दिन कौनसी देवी को समर्पित है. आइये जानते हैं. * घटस्थापना एवं देवी शैलपुत्री पूजा-13 जुलाई 2018 शुक्रवार * देवी ब्रह्मचारिणी पूजा-14 जुलाई 2018, शनिवार * देवी चंद्रघंटा पूजा-15 जुलाई 2018, रविवार * देवी कुष्मांडा पूजा- 16 जुलाई 2018, सोमवार * देवी स्कंदमाता पूजा-17 जुलाई 2018, मंगलवार * देवी कात्यायनी पूजा-18 जुलाई 2018, बुधवार * देवी कालरात्रि पूजा-19 जुलाई 2018, बृहस्पतिवार * देवी महागौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी-20 जुलाई 2018, शुक्रवार * देवी सिद्धिदात्री, नवरात्री पारण-21 जुलाई 2018, शनिवार

आषाढ़ की नवरात्री को काफी खास माना जाता है. कहा जाता है इस नवरात्री में माँ दुर्गा की आराधना करने से सभी मनोकामना पूरी होती है. इस नवरात्री को गुप्त नवरात्री भी कहा जाता है जिसमें खास तौर पर माँ दुर्गा के गुप्त रूप काली की पूजा की जाती है. …

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जगन्नाथ रथ यात्रा : विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा की तिथियां और कार्यक्रम

आप 'जगन्नाथ रथ यात्रा' से तो वाकिफ होंगे ही हर बार की तरह इस बार भी इस भव्य यात्रा की तैयारी बढ़ी जोरों शोरों से चल रही है. ऐसा कहा जाता है कि करीब पिछले 500 सालों से भगवान 'जगन्नाथ जी' की रथयात्रा निकाले जाने की परंपरा रही है. यही नहीं बल्कि हर बार इस यात्रा को जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है. जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि जगन्नाथपुरी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा का उत्सव आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. यात्रा के दौरान विशाल रथों की साज सज्जा की जाती है और उसमें भगवान जगन्नाथ विराजमान होते हैं और भगवान जगन्नाथ को रथ पर बिठाकर पूरे नगर में भ्रमण कराया जाता है. यात्रा के समय चली आ रही परंपरा के अनुसार इन विशाल रथों को सैकड़ों लोग मोटे-मोटे रस्सों की मदद से खींचते हैं और नगरवासियों को भगवान जगन्नाथ के दर्शन कराये जाते हैं. इसके पीछे का रहस्य बताया जाता है कि जो लोग रथ खींचने में सहयोग करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि रथ यात्रा के दौरान सैकड़ो लोग इस यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं. कहा जा रहा है कि इस साल यह भव्य यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया यानि 14 जुलाई 2018 (शनिवार) को शुरू होने जा रही है. यह त्यौहार पूरे 9 दिन तक बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. बता दें कि जगन्नाथपुरी की यह रथयात्रा विश्व भर में प्रसिद्ध है.

आप ‘जगन्नाथ रथ यात्रा’ से तो वाकिफ होंगे ही हर बार की तरह इस बार भी इस भव्य यात्रा की तैयारी बढ़ी जोरों शोरों से चल रही है. ऐसा कहा जाता है कि करीब पिछले 500 सालों से भगवान ‘जगन्नाथ जी’ की रथयात्रा निकाले जाने की परंपरा रही है. यही …

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यात्रा से पहले बीमार हुए भगवान जगन्नाथ

ऐसा कहा जाता है अगर सच्चे मन से भगवान की आराधना की जाए तो वह अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं. यही नहीं बल्कि मन में एक सच्चा विश्वास ही आपको भगवान से मिला सकता है. आज हम आपको एक ऐसा सच्चा विश्वास और प्रभु के प्रति अटूट प्रेम के बारे में बताने जा रहे हैं जहां भक्‍त अपने प्रभु को बीमार मानकर उनकी एक नन्हें बच्चे की तरह देखभाल करते हैं. यही नहीं बल्कि इस दौरान उन्हें खाने-पीने की ऐसी किसी चीज का भोग नहीं लगाया जाता है जिनसे उनकी सेहत खराब हो जाए. जी हाँ आप यह जानकार हैरान हो सकते हैं लेकिन उड़ीसा स्थित जगन्नाथ पुरी में मौजूद भगवन जगन्नाथ के दरबार में ऐसा किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं तो इस दौरान उन्हें देसी वस्‍तुओं से बना काढ़ा पिलाया जाता है. लगभग 15 दिन के उपचार के बाद भगवान जगन्‍नाथ स्‍वस्‍थ होते हैं तब तक उनकी हर रोज इसी तरह सेवा की जाती है. इसके अलावा बताया जाता है कि जब भगवान जगन्नाथ बीमार होते हैं तो इस दौरान मंदिर के पट भी बंद रहते हैं. दरअसल इसके पीछे का गहरा रहस्य यह है, पुराणों में बताया गया है कि जब राजा इंद्रदुयम्‍न अपने राज्य में भगवान की प्रतिमा का निर्माण करवा रहे थे तब शिल्‍पकार भगवान की अधूरी प्रतिमा छोड़कर चले गए थे. इस दौरान राजा इंद्रदुयम्‍न बेहद दुखी हुए थे तब भगवान ने उन्हें दर्शन देकर कहा कि वे चिंता न करें बालरूप में इसी आकार में पृथ्‍वीलोक पर विराजेंगे. इसके बाद भगवान ने राजा को ओदश दिया कि 108 घट के जल से उनका अभिषेक किया जाए और इस दौरान ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा थी. ख़ास बात यह है कि तब से लेकर आज भी यह अभिषेक ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा के दौरान किया जाता है. जाहिर से बात है कि अगर किसी नन्हें बालक को यदि कुंए के ठंडे जल से स्‍नान कराया जाएगा तो बीमार पड़ ही जायेगा. यही वजह है कि प्रभु को बीमार मानकर ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा से अमावस्‍या तक उनकी एक नन्हें बालक की तरह देखभाल की जाती है. जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि इस साल ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा 27 जून को थी और तब से लेकर उनका इलाज चल रहा है. 14 जुलाई को यानिकि रथ यात्रा से ए‍क दिन पहले वह स्‍वस्‍थ होते हैं और इस दौरान बड़े ही धूम धाम से भव्य यात्रा निकाली जाती है.

ऐसा कहा जाता है अगर सच्चे मन से भगवान की आराधना की जाए तो वह अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं. यही नहीं बल्कि मन में एक सच्चा विश्वास ही आपको भगवान से मिला सकता है. आज हम आपको एक ऐसा सच्चा विश्वास और प्रभु के प्रति अटूट …

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