हाईकोर्ट ने राजधानी की तोड़ी गई सड़कों का यूपी सरकार से मांगा हिसाब...

हाईकोर्ट ने राजधानी की तोड़ी गई सड़कों का यूपी सरकार से मांगा हिसाब…

हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्राइवेट टेलीकॉम व अन्य कंपनियों द्वारा लखनऊ की तोड़ी गई सड़कों का यूपी सरकार से हिसाब मांगा है। हाईकोर्ट ने पूछा है कि एक जनवरी 2009 से किन कंपनियों ने राजधानी की सड़कें तोड़ी?हाईकोर्ट ने राजधानी की तोड़ी गई सड़कों का यूपी सरकार से मांगा हिसाब...बड़ी खबर: एक और हुआ एक्सप्रेस हादसा, पीड़ितों के साथ कर दिया ये बड़ा खेल….

क्या इन सड़कों को तोड़ने के लिए कंपनियों ने नगर निगम को पर्याप्त मुआवजा दिया या नहीं? क्या इसके लिए पहले से अनुमति ली गई थी? हाईकोर्ट ने जवाब देने के लिए 26 फरवरी 2018 तक का वक्त दिया है।

जस्टिस सुधीर अग्रवाल व जस्टिस वीरेंद्र कुमार द्वितीय की खंडपीठ ने राजधानी की सड़कें तोड़कर अपनी लाइनें बिछाने और नगर निगम को उसका मुआवजा नहीं दिलाने पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को कड़े निर्देश जारी किया।

खंडपीठ ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि विशेष सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाए जो एक जनवरी 2009 से आज की तारीख तक लखनऊ नगर निगम के तहत आने वाली सड़कों को काटने और खोदने के मामलों पर रिपोर्ट बनाएगी।

गोमतीनगर के तत्कालीन कॉरपोरेटर अरुण कुमार तिवारी ने वर्ष 2009 में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि आम लोगों के उपयोग के लिए बनाई गई सड़कों को विभिन्न कंपनियां जब तब तोड़ देती हैं और नगरनिगम लखनऊ को इसका मुआवजा भी नहीं देती हैं। इसमें सबकी मिलीभगत होती है।

पूरे मामले में बरती जा रही खास तरह की चुप्पी 

हाईकोर्ट ने जनवरी 2011 में आदेश दिया था कि प्रमुख सचिव आवास व शहरी नियोजन उचित निर्देश देकर हलफनामा प्रस्तुत करें। लेकिन इसका भी जवाब नहीं दिया गया। इस पर जस्टिस सुधीर अग्रवाल व जस्टिस वीरेंद्र कुमार – द्वितीय ने कहा कि पूरे मामले में यह एक खास तरह की चुप्पी बरती जा रही है। ऐसे में हाईकोर्ट को ही याचिका पर कुछ करना होगा।

करीब साढ़े छह साल पहले दिए गए आदेशों पर जवाब भी नहीं दिया गया है। नगर निगम को भी लगता है कि मामला जांच व आर्थिक अपराध शाखा से जांच करवाने योग्य है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। विभागीय जांच तक ठंडे बस्ते में जा चुकी है।

जांच में यह जानकारी मांगी
हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे आवास व शहरी नियोजन विभाग के विशेष सचिव, विधि व न्याय विभाग के सहायक परामर्शी और डीआईजी स्तर के अधिकारियों को लेकर एक समिति बनाएं। यह समिति लखनऊ में निगम क्षेत्र की सड़कों (गलियों सहित) को काटने, तोड़ने, खोदने के एक जनवरी 2009 से आज की तारीख (25 अगस्त 2017) तक के मामलों की जांच करेगी।

– कमेटी कंपनियों व लोगों पर कितना शुल्क या मुआवजा बना, इसका निर्धारण करेगी।

– क्या इसके लिए पूर्व अनुमति ली गई थी? इन सड़कों को किसके द्वारा सुधारा गया? कितना समय लगा।

– रिपोर्ट 26 फरवरी 2018 तक तैयार करनी होगी और इसके आधार पर संबंधित विभाग कार्रवाई करें।

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