भारतीय जनता पार्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद आज सबसे बड़ा कद अगर किसी नेता का है,तो वह हैं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह। अमित शाह को न सिर्फ नरेंद्र मोदी का दाहिना समझा जाता है,बल्कि उन्हें बीजेपी का चाणक्य भी माना जाता है।
देश भर में बीजेपी के प्रसार और कई राज्यों में बनी सरकार के पीछे इसी चाणक्य की नीतियों को श्रेय दिया जाता है। माना जाता है कि नरेंद्र-अमित की इस जोड़ी के कारण ही भारतीय जनता पार्टी आज अपने चरम पर पहुंची है,और लगभग पूरे देश में सत्ता पर काबिज है, लेकिन ये जोड़ी कब,कहां और कैसे बनी,यह कहानी भी दिलचस्प है।
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भारतीय जनता पार्टी की बात करें,तो नरेंद्र मोदी से पार्टी का नाता बाद में जुड़ा है, अमित शाह का पहले। लेकिन दोनों के बीच जो साझा कारण था,वह था आरएसएस। दोनों ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े थे।
सन 1982 में जब नरेंद्र मोदी संघ के प्रचारक थे, तो युवाओं से जुड़े कार्यक्रमों के दौरान युवा अमित शाह से उनकी पहली मुलाकात हुई थी। इस छोटी सी मुलाकात में ही दोनों ने एक दूसरे गले लगा लिया,लेकिन तब भी शायद दोनों को नहीं पता था कि क दिन दोनों मिल कर देश की राजनीति की दिशा बदने वाले हैं।
अमित शाह 1983 में बीजेपी की छात्र शाखा एबीवीपी से जुड़े और तीन वर्षों में ही बीजेपी की मुख्य धारा में शामिल हो गये। तब तक नरेंद्र मोदी का बीजेपी से नाता नहीं जुड़ा था। बल्कि इसके करीब साल बार बाद नरेंद्र मोदी बीजेपी में शामिल हुए थे। यानी संगठन में पहले अमित शाह उसके बाद नरेंद्र मोदी।
लेकिन दोनों नेताओं की जोड़ी बनने में अभी समय था। यह समय आया तत्कालीन पार्टी दिग्गज लाल कृष्ण आडवाणी के चुनाव के साथ। आडवाणी ने 1991 में गांधी नगर से लोकसभा चुनाव लड़ा। तब नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने एक साथ आडवाणी के लिए चुनाव प्रचार किया। बस यहीं से दोनों नेताओं की ट्यूनिग हो गई, और देश की राजनीति करवटें बदलने लगी।
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इसके बाद 1995 में भारतीय जनता पार्टी की गुजरात में पहली सरकार बनी। कहा जाता है कि बीजेपी की इस जीत में वरिष्ठ नेता केशुभाई पटेल के अलावा मोदी और शाह ने बड़ी जिम्मेदारी निभाई। दोनों ने मिल कर बीजेपी को मजबूत किया और मजबूत जड़ों वाली कांग्रेस को उखाड़ डाला। मोदी-शाह की जोड़ी ने बीजेपी में कुछ ऐसा प्रभाव बनाया कि 2001 में जब पार्टी ने केशुभाई पटेल से मुख्यमंत्री पद छीना, तो नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया।
कहा जाता है कि मोदी और शाह ने पार्टी की सफाई कर डाली और सारे प्रतिद्वंद्वियों को किनारे कर दिया। अमित शाह 2002 और 2007 में सरखेज से जीत कर विधानसभा सदस्य बने। और 2014 में मोदी के सबसे बड़े बीजेपी नेता बनने के बाद पार्टी अध्यक्ष बने। यह इस जोड़ी का सबसे बड़ा कारनमा था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एक ऐसा स्वरूप हासिल कर लिया,जहां देश भर की राजनीति बीजेपी की तरफ मुड़ गई।