अभी-अभी: हुआ फैसला अगर चली सरकार और सुप्रीम कोर्ट की तो फिर से लिखी जाएगी कुरान ?

नई दिल्ली। तीन तलाक के मुद्दे पर छिड़ी रार बढ़ती ही जा रही है। सड़क से सरकार और अब सुप्रीम कोर्ट में भी मुस्लिम इस मसले पर बिल्कुल भी झुकने के मूड में नहीं हैं। समुदाय की महिलाओं ने जिस उम्मीद से भाजपा को वोट दिया था, वह भी इतनी जल्दी पूरी होते नहीं दिख रही। सुप्रीम कोर्ट में कड़ा रुख अपनाते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि यह अल्लाह के निर्देशों का उल्लंघन होगा।

तीन तलाक पर बढ़ेगी रार!

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कड़ा रुख अपनाते हुए उच्चतम न्यायालय से कहा है कि अगर तीन तलाक को अवैध करार दिया जाता है तो यह अल्लाह के आदेशों का उल्लंघन होगा। साथ ही बोर्ड ने कहा कि तीन तलाक को न मानना कुरान दोबारा लिखने जैसा होगा। इस तरह से यह मुस्लिमों से जबरदस्ती पाप कराने जैसा है। बोर्ड ने कहा कि उसके प्रावधान संविधान की धारा 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) के तहत वैध हैं।

बोर्ड ने कहा,’अगर पवित्र कुरान की इसी तरह बुराई की जाती रही तो जल्दी ही इस्लाम खात्मे की कगार पर आ जाएगा। हालांकि तीन तलाक डिवॉर्स देने का बिल्कुल अलग तरीका है लेकिन कुरान की पवित्र आयतों और पैगंबर के आदेश के मद्देनजर इसे अवैध करार नहीं दिया जा सकता।’

सुप्रीम कोर्ट में लिखित में दलीलें पेश करते हुए AIMPLB ने कहा है कि तीन तलाक का आदेश कुरान से आता है। पवित्र कुरान के मुताबिक,’तीन बार तलाक कह देने पर बीवी अपने पुराने पति के लिए ‘हराम’ हो जाती है और यह तब तक रहता है जब तक ‘हलाला’ न हो जाए। 

कुरान में साफ लिखा गया है कि तीन बार तलाक बोल देने के बाद फैसले को बदला नहीं जा सकता है। तलाक के बाद पति उस महिला के साथ दोबारा रिश्ते में तब तक नहीं आ सकता, जब तक कि वह अपनी पसंद के किसी और शख्स से शादी न कर ले। इतना ही नहीं महिला और उसके पूर्व पति के बीच रिश्ता तब जायज माना जाएगा जब महिला के दूसरे पति की मौत हो गई हो या उससे तलाक हो गया हो।’

AIMPLB के वकील एजाज मकबूल ने कहा कि तीन तलाक का मकसद तलाकशुदा महिलाओं को अपनी मर्जी से दोबारा शादी करने का हक देना है।

बोर्ड का कहना है कि सभी मुस्लिम कुरान और पैगम्बर के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। AIMPLB के मुताबिक अगर कोई मुस्लिम कुरान में मना किए गए कामों को अंजाम देता है तो वह गुनाह करता है। बोर्ड ने चेतावनी देते हुए कहा है कि कुरान के आदेशों के उल्लंघन का नतीजा अच्छा नहीं होगा। मसलन ऐसे रिश्तों से पैदा हुए बच्चे नाजायज कहलाएंगे और अपने पिता की संपत्ति में उनके हिस्से को लेकर विवाद हो सकता है।

AIMPLB के मुताबिक,’इस तरह अगर सुप्रीम कोर्ट यह तय करता है तीन तलाक वैध नहीं है तो यह पवित्र कुरान को दोबारा लिखे जाने जैसा होगा। कुरान की आयतें कुछ और नहीं बल्कि अल्लाह के शब्द हैं और यही इस्लाम का आधार हैं। कुरान के किसी भी हिस्से से छेड़छाड़ इस्लाम के मूलभूत तत्वों से छेड़छाड़ करने जैसा होगा।

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