कोरोना वायरस के प्रसार के बीच एस्ट्राजेनेका वैक्‍सीन पर सियासत तेज, EMA की मुलाक़ात पर यूरोपीय देशों नजरे गढ़ी

दुनिया में कोरोना वायरस के प्रसार के बीच एस्ट्राजेनेका वैक्‍सीन पर सियासत तेज हो गई है। एक तरफ जहां कोरोना वायरस से बचाव के लिए भारत समेत दुनिया में टीकाकरण अभियान में तेजी लाई जा रही है, वहीं दूसरी और कुछ यूरोपीय देशों ने इस पर राजनीति शुरू कर दी है। कुछ यूरोपीय देशों ने अपने मुल्‍क में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (AstraZeneca Vaccine) पर रोक लगा दी है, जबकि यूरोपीय चिकित्सा एजेंसी (ईएमए) और विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने एस्‍ट्राजेनेका वैक्‍सीन को क्‍लीन चीट दी है। इसके बावजूद कुछ मुल्‍क इस वैक्‍सीन पर सियासत कर रहे हैं। इस समस्‍या के समाधान के लिए कल यानी गुरुवार को यूरोपीय चिकित्‍सा एजेंसी की विशेष बैठक हो रही है। आइए जानते हैं कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की क्‍लीन चीट के बाद कौन से मुल्‍कों ने अपने यहां इस वैक्‍सीन पर लगाया प्रतिबंध। क्‍या है इन देशों का आरोप।

डब्‍ल्‍यूएचओ समेत कई संगठन वैक्‍सीन के पक्ष में उतरे

यूरोपीय चिकित्‍सा एजेंसी ने डब्‍ल्‍यूएचओ की उस अपील का जोरदार समर्थन किया है, जिसमें संगठन ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित करार दिया है। ईएमए ने कहा है कि यह वैक्‍सीन कोरोना वायरस से लड़ने में पूरी तरह से कारगर और प्रभावकारी है। इस वैक्‍सीन के कोई साइड इफेक्‍ट भी नहीं है।

डब्ल्यूएचओ की मुख्‍य वैज्ञानिक सौम्‍या स्‍वामीनाथन ने कहा हम नहीं चाहते कि लोग घबराएं। उन्‍होंने सलाह दी कि सभी देश एस्ट्राजेनेका के साथ टीकाकरण जारी रखें।

इसके अतिरिक्‍त यूरोपियन मेडिसिन वॉचडॉग (Europe’s Medicines Watchdog) ने भी एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को बेहद सुरक्षित बताया है। इसके बावजूद कुछ यूरोपीय मुल्‍कों ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है।

ब्रिटेन की ब्रिटिश-स्‍वीडिश दवा कंपनी एस्‍ट्रोजेनेका ने अपने वैक्‍सीन को पूरी तरह से सुरक्षित बताया है। कंपनी ने जोर देकर कहा है कि यह वैक्‍सीन पूरी तरह से प्रभावकारी है। इसके कोई साइड इफेक्‍ट नहीं है।

एस्‍ट्रोजेनेका कंपनी ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इन टीकों के कारण रक्त का थक्काकरण (ब्लड क्लॉट) हुआ है जैसा कुछ यूरोपीय देशों से रिपोर्ट आई है।

इन देशों ने लगाई वैक्सीन पर रोक

यूरोपीय संघ के तीन बड़े देश-जर्मनी, इटली और फ्रांस ने इस वैक्‍सीन के इस्‍तेमाल पर रोक लगा दी है। इसके अतिरिक्‍त स्‍पेन, पुर्तगाल और लातविया ने भी इस वैक्‍सीन पर प्रतिबंध लगा दिया है। एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर प्रतिबंध केवल यूरोपीय देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि इंडोनेशिया ने भी इस वैक्‍सीन के इस्‍तेमाल पर देरी से लेने की घोषणा की है।

भारत में भी हो रहा इस्तेमाल

एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन का भारत में सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा कोविशील्ड के नाम से उत्पादन किया जा रहा है। भारत में टीकाकरण अभियान में कोविशील्ड के साथ ही भारत बायोटेक के स्वदेशी टीके कोवैक्सीन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

 

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