लद्दाख में चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा,  आए दिन अपनी दादागिरी दिखाता

दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई बैठक के बाद मामले को फिलहाल सुलझा लिया गया है। लेकिन दोनों देशों के सैनिक अब डेमचोक के पास मौजूद इस चारागाह पर नजर बनाए हुए हैं।

लद्दाख में चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और आए दिन अपनी दादागिरी दिखाता रहता है। इसी कड़ी में हाल ही में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास डेमचोक में चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय चरवाहों को रोकने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि यह घटना 21 अगस्त को हुई थी। हालांकि घटना के बाद दोनों देशों के अधिकारियों के बीच इस मसले पर बातचीत भी हुई है। बैठक के बाद मामले को फिलहाल सुलझाया दरअसल, जानकारी के मुताबिक यह घटना डेमचोक के पास मौजूद एक चारागाह की है जहां चीनी सैनिकों के भारतीय चरवाहों को रोका था। इसके बाद भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 26 अगस्त को इस मसले को लेकर बैठक भी हुई थी। दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई बैठक के बाद मामले को फिलहाल सुलझा लिया गया है। लेकिन दोनों देशों के सैनिक अब डेमचोक के पास मौजूद इस चारागाह पर नजर बनाए हुए हैं। डेमचोक इलाका पहले से है संवेदनशील असल में लद्दाख से अरुणाचल तक फैली वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कुल 23 संवेदनशील इलाके हैं। इनमें डेमचोक का भी नाम आता है। साल 2018 में चीनी सैनिक डेमचोक में 300-400 मीटर अंदर तक घुस गए थे। उन्होंने कुछ टेंट भी उखाड़े थे। इसके बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच बातचीत हुई और मामले को कंट्रोल किया गया था। इतना ही नहीं साल 2020 के अक्टूबर में चीन का एक सैनिक डेमचोक से ही पकड़ा भी गया था, पूछताछ के बाद भारतीय सेना ने उसको वापस चीन भेज दिया था। चरवाहे इस इलाके में हमेशा से आते-जाते रहे हैं अब इसी इलाके में फिर चीन ने दादादिरी दिखाने की कोशिश की है और वहां भारतीय चरवाहों की मौजूदगी पर आपत्ति जताई है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने रक्षा सूत्रों के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि चरवाहे इस इलाके में हमेशा से आते-जाते रहे हैं। इस बार फिर से चीनी सैनिकों ने चरवाहों को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह उनका इलाका है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों पक्षों के सैनिक बता दें कि भारत और चीन के बीच बॉर्डर पर गतिरोध सामने आता रहता है। पैंगोंग झील इलाके में चीन और भारत की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था। इसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ सीमा पर भारी हथियारों की तैनाती की थी। इस समय वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों पक्षों के लगभग पचास से साठ हजार सैनिक तैनात हैं। फिलहाल इस गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच कई बार वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकल सका है। हाल ही में दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर के 16वें दौर की वार्ता हुई थी। अब चीन द्वारा भारतीय चरवाहों को इस प्रकार रोकने की वजह से यह मुद्दा फिर सामने आया है। अब देखना होगा कि इसका हल कैसे निकलता है।
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