स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से बढ़ सकती है ये समस्या

ऑकलैंड: वैज्ञानिकों ने लाइफस्टाइल से जुड़े एक अहम सवाल का जवाब वैज्ञानिकों ने दिया है. सवाल ये है कि क्या बचपन के दौरान बच्चों के मोबाइल, टीवी और लैपटॉप जैसे स्क्रीन वाले उपकरणों पर बिताए गए समय के कारण बाद के जीवन में बच्चों में असावधानी का कारण बन सकता है, यह बच्चों के पैरेंट्स और रिसर्चर्स दोनों के लिए चिंता का बड़ा कारण है.
प्री-स्कूल के बच्चों पर स्टडी पहले की स्टडीज में प्री-स्कूल के बच्चों के स्क्रीन पर दिए गए समय और ध्यान देने की क्षमता में आने वाली कठिनाइयों के बीच संबंधों यानी समीकरण को को दिखाया गया है. लेकिन रिसर्चर्स के बीच किसी भी तरह से आम सहमति नहीं है कि ऐसा कोई संबंध मौजूद है, और कई स्टडीज में परस्पर विरोधी परिणाम देखने को मिले हैं. ‘ग्रोइंग अप इन न्यूज़ीलैंड’ (GUINZ) की जानकारियों पर आधारित दो अध्ययन आज के छोटे बच्चों के लिए संवादमूलक (इंटरैक्टिव) मीडिया के संदर्भ में, इस मुद्दे पर नया प्रकाश डाल सकते हैं. बच्चे ने दो घंटे से ज्यादा टीवी देखा तो क्या होगा? पहले की स्डटी में जांच की गई कि क्या ढाई साल से लगभग चार साल की उम्र के बच्चों के लिए प्रति दिन दो घंटे से अधिक समय स्क्रीन देखने से उनके साढ़े चार साल का होने पर उनके ध्यान देने की क्षमता में कमी और अति सक्रियता के लक्षण दिखते हैं. इसके लिए हमने गुडमैन के सामर्थ्य और कठिनाइयां प्रश्नावली का इस्तेमाल कर लक्षणों को मापने की कोशिश की और पाया कि स्क्रीन समय के उच्च स्तरों और अधिक लक्षणों के बीच कोई संबंध नहीं था. दूसरी स्टडी में साढ़े चार साल की उम्र में बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम और असावधानी या एक्स्ट्रा एक्टिव होने के लक्षणों के बीच संबंध की जांच की गई. यहां, स्क्रीन टाइम और लक्षणों को एक ही समय पर मापा गया. यहां वैज्ञानिकों ने अधिक लक्षणों और उच्च स्तर के स्क्रीन टाइम के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध पाया. कई कारण हो सकते हैं जिम्मेदार ये दो नतीजे बताते हैं कि स्क्रीन समय और असावधानी (Inadvertence) और ओवर एक्टिव (Over active) होने के लक्षणों के बीच कोई कारण बताने वाला संबंध नहीं है. इसके बजाय, अधिक लक्षण प्रदर्शित करने वाले बच्चों के माता-पिता उन्हें स्क्रीन पर अधिक समय बिताने की इजाजत दे सकते हैं. कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, और इनमें से एक कारक बच्चे की पसंद है. ज्यादातर बच्चे स्क्रीन टाइम का आनंद लेते हैं. उदाहरण के लिए, ‘अटेंशन डेफिसिट एंड हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर’ (ADHD) वाले बच्चों के लिए, अपने साथ के लोगों से बातचीत अक्सर मुश्किल होती है, और ‘स्क्रीन टाइम’ अधिक सुखद और कम तनावपूर्ण विकल्प प्रदान कर सकता है. बच्चों को होने वाली कॉमन परेशानी जिन बच्चों को ध्यान की समस्या है, उनके लिए किताब पढ़ने जैसे मनोरंजन पर लंबे समय तक ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो सकता है. चमकीले रंगों और क्रिया के साथ स्क्रीन टाइम, उनका ध्यान आकर्षित कर सकता है और उनकी रुचि बनाए रख सकता है. असावधानी या अतिसक्रियता के लक्षणों वाले बच्चे आमतौर पर बहुत एक्टिव और आवेग वाले होते हैं और माता-पिता को उन्हें व्यस्त रखने के लिए मोबाइल, लैपटॉप आदि देना मददगार हो सकता है. हमारे नतीजों का मतलब ये नहीं है कि पिछले नतीजे गलत थे, क्योंकि ज्यादातर शोध में से रिसर्चर्स ने बच्चों के टेलीविजन (TV)  देखने पर फोकस किया है. वहीं मीडिया परिदृश्य खासकर जिनमें प्रीस्कूल के बच्चे बढ़ रहे हैं वह आज काफी बदल गया है. वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि नई स्क्रीन टेक्नालजी आ गई हैं और यकीनन, स्क्रीन पर बिताए जाने वाले समय की उच्च गुणवत्ता अब संभव है.
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