स्मार्ट सिटी में शामिल शहर में करीब 20 लाख बाशिंदे ड्रेनेज सिस्टम से हैं वंचित…

सुनियोजित विकास और व्यवस्थित शहर के लिए बने मास्टर प्लान जिम्मेदारों की गैरजिम्मेदारी की बलि चढ़ गए। विकास में दूरदर्शिता अपनाने की जगह जिम्मेदार आंख मूंदकर अवैध सोसाइटी बसाने में मददगार बने रहे। सुविधा शुल्क लेकर बिना लेआउट और मूलभूत सुविधाओं के दर्जनों अवैध सोसाइटी बसा दी। यहां पर पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। आज की तस्वीर यह है कि स्मार्ट सिटी में शामिल शहर में करीब 20 लाख बाशिंदे ड्रेनेज सिस्टम से वंचित हैं। इन सोसाइटी क्षेत्रों में बिना बरसात के ही सड़कों पर पानी भरा रहता है। कई जगह लोगों ने खाली पड़ी जगह में क्षेत्र की जल निकासी जोड़ दी है। इससे खाली पड़े भूखंड और मैदान तालाब नजर आ रहे हैं।

अनियोजित विकास ने बिगाड़ी शहर की सूरत

वर्ष 1974 में कानपुर विकास प्राधिकरण का गठन इसलिए किया गया था कि मास्टर प्लान के तहत शहर की बसावट की जाएगी। वर्ष 1985 के बाद से शहर का विस्तार तो तेजी से हुआ, लेकिन बिना मास्टर प्लान के अनियोजित ढंग से इलाके बसते चले गए। केडीए के अभियंताओं की मेहरबानी का फायदा बिल्डरों ने जमकर उठाया। बिना सुविधाओं के अवैध प्लाटिंग करके भूखंड बेच डाले। ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने के कारण इन क्षेत्रों में पानी भरा रहता है।

अवैध सोसाइटी में एक से एक आलीशान मकान बने हैं, लेकिन सुविधाएं शून्य हैं। खुद केडीए के दस्तावेज में 157 अवैध सोसाइटी दर्ज हैं। साउथ और पश्चिम क्षेत्र में बिना मानकों के कई सोसाइटी बस गई हैं। इन इलाकों में लगभग 20 लाख आबादी रह रही है। विकास और सुविधाओं के लिए लोग अफसरों से जनप्रतिनिधियों तक चक्कर लगा रहे हैं। वर्ष 2003 से शासन में नियमितीकरण को लेकर फाइल दौड़ रही है, लेकिन आज तक निस्तारण नहीं हो पाया है। कई बार शासन सर्वे कराके रिपोर्ट मांग चुका है।

जल निकासी को लेकर सोसाइटी क्षेत्रों में होती मारपीट

जल निकासी को लेकर अवैध बसी सोसाइटी क्षेत्र में अक्सर मारपीट हो जाती है। अशोक नगर खलवा, गुबा गार्डन, ज्यौरा, यशोदा नगर, दामोदर नगर, संघर्ष नगर, विश्वबैंक समेत कई सोसाइटियों में लोगों ने अपने घरों के बाहर चबूतरे बना रखे हैं ताकि घर के आगे पानी नहीं भरे। नाली बनाकर दूसरों के खाली प्लाट में पानी डाल देते हैं। जलभराव होने के कारण लोग भूखंड पर निर्माण नहीं करा पा रहे हैंं। कई बार भूखंड में पानी डालने को लेकर मारपीट तक हो चुकी है।

बिना जल निकासी सुविधा के बस्तियां

शहर में बिना जल निकासी सुविधा के कई बस्तियां बसी हैं, जिनमें करीब पांच लाख आबादी रह रही है। हालत यह है कि सड़क पर ही पानी बहता रहता है। राजापुरवा व लोहारन भट्टा में लोगों ने तालाब को जल निकासी के लिए टैंक बना दिया है। सड़कों व गलियों में पानी बहता रहता है। किदवईनगर, फजलगंज, विकास नगर, जूही खलवा, राखी मंडी समेत 390 से ज्यादा बस्तियां बसी हैं।

अवैध निर्माण और अतिक्रमण ने बिगाड़ा बना ड्रेनेज सिस्टम

केडीए और नगर निगम की मेहरबानी से बना ड्रेनेज सिस्टम भी ध्वस्त हो गया है। इसके चलते बारिश में शहर जलमग्न हो जाता है। केडीए की जिम्मेदारी है कि मानक के अनुरूप क्षेत्र में निर्माण की स्वीकृति दी जाए। अभियंताओं की मेहरबानी के चलते रोक के बाद भी धड़ल्ले से अवैध इमारतें खड़ी हो गईं। बढ़ती आबादी के बोझ के कारण पहले का ड्रेनेज सिस्टम भी ध्वस्त हो गया। एक भवन की जगह सौ-सौ फ्लैट खड़े हो गए। स्वरूप नगर, आर्यनगर, जवाहर नगर, बेकनगंज, तिलक नगर, प्रेमनगर, पीरोड, रामबाग, आचार्य नगर, काकादेव, पांडुनगर, विकास नगर, शास्त्रीनगर, गुमटी नंबर पांच, कौशलपुरी, मालरोड समेत कई इलाकों में धड़ल्ले से अवैध इमारते खड़ी होती गईं। हालत यह है कि इन इलाकों का भी ड्रेनेज सिस्टम बैठ गया है।

बरसात में अब इन इलाकों में भी पानी भर जाता है। नगर निगम की अनदेखी का लाभ अतिक्रमणकारियों ने उठाया। जल निकासी के लिए बने नालों और नालियों पर कब्जा कर लिया। इसके चलते जल निकासी बंद हो गई। लोगों ने नालों पर मकान तक बना लिए हैं। सीसामऊ नाला, रफाका नाला, विजय नगर, नाला, रानी घाट समेत कई नालों पर कब्जा कर रखा है। इसके चलते नालों की सफाई न होने के कारण जल निकासी फंस रही है।

अवैध सोसाइटी : पशुपति नगर, शंकराचार्य नगर, मिर्जापुर, अशोक नगर खलवा, गोपाल नगर, दामोदर नगर, कर्रही. नौबस्ता राजीव नगर, मछरिया, कल्याणपुर, बर्रा, रामपुरम, कोयला नगर, समेत कई इलाके सोसाइटी क्षेत्र के हैं।

जनता का दर्द

  • मकान जब बनवाने पहुंचे तो पता चला कि कोई सुविधा नहीं है। सीवर व ड्रेनेज सिस्टम तक नहीं है। सीवर के लिए सैफ्टी टैंक बनवाया। जल निकासी न होने से सड़क पर पानी भरा रहता है। घरों का पानी सड़क पर बहता रहता है। -कैलाश, नौबस्ता राजीव नगर
  • बिना बरसात के ही क्षेत्र में पानी भरा रहता है। बारिश में इलाका टापू बन जाता है। घरों में कैद होना पड़ जाता है। बरसात के समय बच्चे व बुर्जुग घरों से नहीं निकलते। कई बार केडीए व नगर निगम के चक्कर लगा चुके, नतीजा सिफर है। -संतोष नौबस्ता राजीव नगर
  • गुबा गार्डन में जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। पानी भरा होने के कारण मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है। महामारी फैलने का खतरा बढ़ गया है। कई बार शिकायत कर चुके हैं। -शीलू पांडेय गुबा गार्डन
  • जगह खरीद कर अब अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। मकान बनाने के बाद पता चला कि यहां पर जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। हाउस टैक्स भी दे रहे हैं, लेकिन विकास के नाम पर जलभराव है।
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