मनोकामना पूर्ति मास आषाढ़ हो चुका है शुरू जानिए इस हफ्ते के व्रत-त्‍योहार

हिंदू वर्ष के चौथे माह को धार्मिक मान्‍यताओं के लिहाज से महत्‍वपूण मास माना गया है। इस मास में कई प्रमुख पर्व और व्रत आते हैं, जिनका धार्मिक दृष्‍टि से काफी महत्‍व है। इस माह को मनोकामनाएं पूरी करने वाला महीना भी कहा जाता है। इस माह में दान का भी काफी महत्‍व है। इस माह से ही बारिश की शुरुआत मानी जाती है। माना जाता है कि इस दौरान खेती के लिए जमीन तैयार होती है। इसलिए इस माह की अमावस्‍या को हलहरिणी अमावस्‍या भी कहते हैं। बारिश के मौसम में कई बीमारियों का खतरा रहता है, जिसकी वजह से इस माह में सादा भोजन करने का भी विधान है।

आषाढ़ मास का नाम पूर्वाषाढ़ा और उत्‍तराषाढ़ा नक्षत्रों के नाम पर रखा गया है। माना जाता है इस दौरान चंद्रमा इन नक्षत्रों के बीच रहता है। इस मास के प्रमुख व्रत त्‍योहारों में गुप्‍त नवरात्रि, जगन्‍नाथ रथयात्रा, योगिनी एकादशी, हलहरिणी अमावस्‍या, देवशयनी एकादशी और गुरु पूर्णिमा शामिल है। इस माह में उमस और गर्मी अधिक होती है इसलिए छाता, घड़ा, खरबूजा, तरबूज आदि चीजों का दान करने की मान्‍यता है। आषाढ़ मास इस दृष्‍टि से महत्‍वपूर्ण माना जाता है कि इस माह के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी के बाद से विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य अगले चार मास के लिए रुक जाते हैं। भगवान विष्‍णु चार मास के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं, मगर जाने से वह अपना कार्यभार भगवान शिव को सौंप देते हैं। इसलिए इस माह में भगवान विष्‍णु और शिव की पूजा का खास महत्‍व है। आगामी 28 जून से 4 जुलाई के बीच के हफ्ते में कई प्रमुख पर्व आएंगे। आइए इनके बारे में जानते हैं।

28 जून : सोमवार से पंचक काल लग रहा है। कई शुभ कार्य और यात्राएं पंचक काल में नहीं की जाती हैं। इस बार का पंचक काल 28 जून से 3 जुलार्इ के बीच रहेगा। हमारे पंचांग में पंचक का विशेष महत्‍व माना गया है। कुछ विशेष काम और खास दिशा की यात्राएं पंचक काल में नहीं की जाती हैं। रेवती, धनिष्‍ठा, पूर्वा भाद्रपद, उत्‍तरा भाद्रपद, और शतभिषा नक्षत्रों के विभन्‍न चरणों में चंद्रमा के भ्रमण से पंचक का योग बनता है।https://tosnews.com/devshaini-ekadashi-2021-shubh-muhurt/

2 जुलार्इ : इस दिन मासिक कालाष्‍टमी का त्‍योहार मनाया जाएगा। कालाष्‍टमी का व्रत हर माह की कृष्‍ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह दिन श्री भैरव के अनुयायियों के लिए महत्‍वपूर्ण होता है। कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी तिथि को कालाष्‍टमी के रूप में मनाया जाता है। एक साल में 12 कालाष्‍टमी के पर्व आते हैं, इनमें से मार्गशीर्ष की कालाष्‍टमी का विशेष महत्‍व है। इसे कालभैरव जयंति भी कहते हैं। रविवार या मंगलवार को पड़ने वाली कालाष्‍टमी का विशेष महत्‍व बताया गया है।

अपराजिता श्रीवास्‍तव

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