भारत के इतिहास में जो पहले कभी नहीं हुआ अब होने जा रहा है मोदी राज में,देश की सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने पर मोदी सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है जिसके बाद विरोधी भी मोदी सरकार के आगे नतमस्तक होने पर मजबूर हुए हैं !
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मोदी सरकार के सत्ता में आते ही जहाँ एक तरफ देश तेज़ी से आगे बढ़ रहा है वहीँ दूसरी तरफ भारतीय सेना को पहली बार किसी सरकार ने अपने तरीके से काम करने और आतंकवाद को ख़त्म करने की छूट दी है. हाल ही में मिली डोकलाम जीत के बाद सरकार के साथ-साथ सेना का भी मनोबल काफी बढ़ गया है. इतना ही नहीं अब सेना की युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार 57 हजार सैन्य अधिकारियों, जेसीओ एवं अन्य कर्मियों को फिर से तैनाती देने जा रही है. सैन्य सुधार पर गठित शेकातकर समिति की सिफारिश को मानते हुए यह फैसला किया गया है.
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केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में किन मुख्य बातों पर दिया जाएगा जोर !!
- अंग्रजों के जमाने से चली आ रही है सेना की कार्यप्रणाली को पूरी तरह से बदल दिया जाएगा. जिसमें सिग्नल्स एवं इंजीनियरिंग कॉर्प्स और ऑर्डनेंस इकाइयों का पुनर्गठन, कुछ इकाइयों का विलय तथा मिलिट्री फॉर्म्स को बंद करना शामिल हैं.
- सेना की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए और रक्षा पर होने वाले खर्च के पुर्नसंतुलन पर जोर.
- जंग में सीधे हिस्सा लेने वाले सैनिकों और उन्हें लॉजिस्टिक्स की आपूर्ति एवं अन्य मदद मुहैया कराने वाले सैनिकों के बीच के अनुपात (टूथ टू टेल रेशियो) में सुधार.
- सेना में विभिन्न कार्यो में लगे जवानों का बदली हुई परिस्थितियों में कैसे सर्वश्रेष्ठ उपयोग पर जोर.
- सेना में 57,000 जवानों, जेसीओ और अन्य रैंक के कर्मियों की नए सिरे से तैनाती की योजना.
- राष्ट्रीय कैडेट कोर की क्षमता में सुधार किया जाएगा.
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- सेना में क्लर्कों और चालकों की भर्ती के लिये मानकों में भी सुधार.
- सेना के 39 फार्म बंद किए जाएंगे. जिनमें से कुछ को बंद कर दिया गया है. इन जमीनों को डिफेंस एस्टेट ऑफिस में तब्दील किया जाएगा.
- वाहन डिपो, आयुध डिपो और केंद्रीय आयुध डिपो समेत आयुध विभाग की फिर से तैनाती होगी.
- सेना की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी पर ज्यादा जोर दिया जाएगा. जैसा कि अमेरिका, रूस जैसी महाशक्तियों ने अपनी सेना के साथ किया है.