अभी-अभी: हार्दिक पटेल को लगा डबल झटका, दो करीबी पाटीदार नेता हुए BJP में शामिल

अभी-अभी: हार्दिक पटेल को लगा डबल झटका, दो करीबी पाटीदार नेता हुए BJP में शामिल

गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है. कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए पाटीदार नेता हार्दिक पटेल समेत दूसरे युवा नेताओं को साथ आने का न्योता दिया. साथ ही बीजेपी विरोधी ध्रुवों को साथ आने का निमंत्रण दिया है. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने ‘आज तक’ से कहा है कि वे कांग्रेस को समर्थन देने के लिए तैयार हैं. हार्दिक ने मुद्दों के आधार पर समर्थन की बात कही है और भरोसा जताया है कि कांग्रेस उनकी बात मानेगी.अभी-अभी: हार्दिक पटेल को लगा डबल झटका, दो करीबी पाटीदार नेता हुए BJP में शामिलगुजरात चुनावः कांग्रेस के जातिगत दांव को मात देने के लिए BJP चलेगी हिन्दुत्व का कार्ड..

हार्दिक के करीबी में BJP में शामिल

इस बीच शनिवार की शाम पाटीदार समाज के दो लीडर्स रेशमा पटेल और वरुण पटेल ने अहमदाबाद में अमित शाह से मुलाकात के बाद BJP ज्वाइन कर ली. इन दोनों को हार्दिक का करीबी माना जाता है.’

बीजेपी में शामिल होने के बाद पाटीदार नेताओं ने संवाददाताओं से कहा कि हार्दिक ‘कांग्रेस का एजेंट’ बन गया है और मौजूदा राज्य सरकार को उखाड़ फेंकने के लिये आंदोलन का इस्तेमाल करने का प्रयास कर रहा है.

रेशमा पटेल ने कहा, ‘‘हमारा आंदोलन ओबीसी कोटा के तहत आरक्षण के बारे में था. यह बीजेपी को उखाड़कर उसकी जगह कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिये नहीं था. जहां बीजेपी ने हमेशा समुदाय का समर्थन किया है और हमारी ज्यादातर मांगें मान ली हैं. कांग्रेस सिर्फ पटेलों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है. हम इस तरह की दुर्भावनापूर्ण साजिश का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं.’’

अपने दो कार्यकर्ताओं द्वारा बीजेपी का दामन थाम लेने पर हार्दिक पटेल ने ट्वीट किया कि ”कनखजूराह के पैर टूट जाने के बावजूद भी कनखजुराह दोड़ेगा !! मेरें साथ जनता हैं।जनता का साथ है तब तक लड़ता रहूँगा !!”. इस ट्वीट के माध्यम से हार्दिक ने यह संदेश दिया की कि बीजेपी द्वारा टीम को कमजोर करने की कोशिश के बावजूद बीजेपी के खिलाफ उनकी लड़ाई में जनता उनके साथ है.

आपको बता दें कि पाटीदार आंदोलन की महिला नेता रेशमा पटेल ने आंदोलन से हटने का पहले ही मन बना लिया था. अप्रैल में जब हार्दिक जेल में बंद थे. उस समय उन्होंने जेल से एक लेटर जारी कर पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के अधिकृत प्रवक्ताओं के बारे में बताया था. उसमें रेशमा पटेल का नाम नहीं था. इसके बाद रेशमा ने दुख जाहिर करते हुए कहा था कि उन्हें दुख है कि पास की नई सूची में मेरा नाम नहीं है. रेशमा ने आगे कहा था कि ”समाज के लिए अब तक कार्य करने में उनका राजनीतिक या व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं था.” उन्होंने यह भी कहा था कि हार्दिक जेल में कैद हैं, ऐसे में कई लोग उन्हें मेरे बारे में आधी बात ही बताते होंगे. इसी के चलते हार्दिक का मुझ पर से विश्वास उठ गया होगा.

इससे पहले हार्दिक ने कहा कि बीजेपी को हराने के लिए वे कांग्रेस को समर्थन देने को तैयार हुए हैं, लेकिन साथ ही ये भी बताया कि वे समर्थन तभी देंगे, जब कांग्रेस उनकी शर्तें मानेगी. वहीं दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने कहा है कि संविधान विरोधी बीजेपी को हर हाल में हटाना है.

गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी ने सार्वजनिक तौर पर बीजेपी विरोधी नेताओं को ये न्योता भेजा है. सोलंकी ने जनता दल यूनाइटेड के नेता छोटू भाई वसावा को भी साथ आने का निमंत्रण भेजा है. वसावा वही नेता हैं, जिन्होंने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल को वोट देने का दावा किया था. वो पटेल के काफी करीबी माने जाते हैं.

इनके अलावा ओबीसी एससी-एसटी एकता मंच के नेता अल्पेश ठाकोर और दलितों के खिलाफ होने वाले उत्पीड़न की आवाज उठाने वाले जिग्नेश मेवानी को भी कांग्रेस की तरफ से साथ आने का निमंत्रण दिया गया है. 

इस ऐलान के साथ ही सोलंकी ने ये भी कहा कि चुनाव के लिए सभी विकल्प खुले हैं. उन्होंने बताया कि जो नेता कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ना चाहते हैं, उनका भी स्वागत है. साथ ही अगर वो स्वतंत्र रूप से चुनाव में जाना चाहते हैं, तो कांग्रेस उन्हें समर्थन देने के लिए तैयार है.

हार्दिक ने किया था ये ट्वीट

कांग्रेस के इस ऐलान से कुछ घंटे पहले ही पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने ट्विटर पर चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था. उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘मुझे चुनाव नहीं लड़ना और चुनाव लड़ने का हमारा स्वार्थ भी नहीं है. हमें अधिकार चाहिए और न्याय, हम अहंकार के सामने लड़ रहें हैं. जीत हमारी होगी’. हार्दिक आजतक के मंच पर भी ये ऐलान कर चुके हैं. उन्होंने पंचायत आजतक में उम्र कम होने का हवाला देते हुए चुनाव न लड़ने की बात कही थी. 

कांग्रेस का ये ऐलान ऐसे वक्त में किया गया जब 23 अक्टूबर को ओबीसी एससी-एसटी एकता मंच के संयोजक अल्पेश ठाकोर की अहमदाबाद में होने वाली है. इस रैली को ‘जनादेश सम्मेलन’ का नाम दिया गया है. गुजरात के चुनावी रण में ओबीसी वोटों का कितना महत्व है, ये इसी से साफ है कि राज्य में 54 फीसदी ओबीसी यानी अति पिछड़े वर्ग की आबादी है. यही वजह है कि अल्पेश चुनावी चौसर पर अपने दांव बहुत चतुराई से चल रहे हैं. अल्पेश दावा कर रहे हैं कि इस रैली में 5 लाख से ज्यादा लोग हिस्सा लेंगे. अल्पेश इसी रैली में गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति की घोषणा करेंगे.

दरअसल, अल्पेश सार्वजनिक मंचों से बीजेपी को हराने की हर मुमकिन कोशिश की घोषणा कर चुके हैं. वहीं पाटीदारों की आरक्षण मांग पूरी न होने से नाराज चल रहे पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भी बीजेपी के खिलाफ खुलेआम मोर्चा खोल चुके हैं. दूसरी तरफ जिग्नेश मेवानी गुजरात में दलितों पर उत्पीड़न के खिलाफ मुखर होकर सामने आए हैं. ऐसे में ये तीनों युवा नेता सीधे तौर पर बीजेपी के लिए चुनौती बने हुए हैं. यही वजह है कि कांग्रेस अलग-अलग जातीय समीकरणों का समर्थन रखने वाले इन युवा नेताओं को साथ लाकर गुजरात में 22 साल के सूखे को खत्म करने की रणनीति पर काम कर रही है.

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